जानिए: आज का पंचांग, किस दिशा में यात्रा करें? चोरी गई वस्तु कहां मिलेगी? आज कौन सा ग्रह, किस राशि में है?
25 नवंबर 2011: शुक्रवार, सूर्य दक्षिणायन, अगहन मास, कृष्ण पक्ष, शोभन नाम संवत्सर, संवत् 2068, शरद ऋतु।
तिथि - अमावस्या
विशेष - स्नान व दान अमावस्या
नक्षत्र - अनुराधा
सूर्योदय - 05:55
सूर्यास्त - 07:10
अक्षांश - 23:11 उत्तर
देशांश - 75:43 पूर्व
ग्रह स्थिति - चंद्र वृश्चिक में, सूर्य वृश्चिक में, मंगल कर्क में, बुध कन्या में, गुरू मेष में, शुक्र धनु में, शनि तुला में, राहु वृश्चिक में और केतु वृष राशि में स्थित है।
किस दिशा में यात्रा - पश्चिम दिशा, यदि आवश्यक हो तो उड़द की दाल का सेवन करके यात्रा करें।
किस दिशा में चोरी - पूर्व दिशा में चोरी गई समझें, जल्द ही मिलेगी।
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हिन्दू शास्त्रों के मुताबिक शुक्रवार धन व ऐश्वर्य की अधिष्ठात्री महालक्ष्मी की उपासना से सुख-समृद्ध जीवन की कामनासिद्धि का विशेष दिन है। इसी तरह अमावस्या पर देवी पूजा अज्ञान, कलह और दरिद्रता रूपी अंधकार को मिटाने की शुभ घड़ी भी मानी जाती है। जिसके लिए माता लक्ष्मी की उपासना का विशेष महत्व है। देवी लक्ष्मी वैभव की अधिष्ठात्री हैं। उनके समुद्र मंथन से प्राकट्य की तिथि अमावस्या ही मानी गई है।
यही कारण है आज देवी उपासना के दिन शुक्रवार व अमावस्या का संयोग वैभव संपन्नता की कामना के लिए भी शुभ व अचूक काल है।
अगर आप भी जीवन में धन की परेशानियों का सामना कर रहे हैं, नौकरी या व्यवसाय में मनचाहा धनलाभ प्राप्त नहीं कर पा रहे, पारिवार में अनचाहे खर्चों से आर्थिक तंगी से जूझ रहे हों या जल्द व अधिक धन कमाने की इच्छा रखते हैं तो यहां बताए जा रहे देवी लक्ष्मी की विशेष मंत्र से उपासना के आसान उपाय को अपनाकर लक्ष्मी कृपा पा सकते हैं -
- शुक्रवार की शाम स्नान के बाद एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर देवी लक्ष्मी की यथासंभव चांदी की प्रतिमा को स्थापित करें।
- लक्ष्मी की प्रतिमा को गाय के कच्चे दूध व गंगाजल से स्नान कराएं।
- स्नान के बाद देवी लक्ष्मी को लाल चंदन, लाल अक्षत, फूल, वस्त्र व दूध से बने पकवानों का भोग लगाकर श्रीसूक्त के नीचे लिखे लक्ष्मी मंत्र का स्मरण कर भरपूर आर्थिक समृद्धि की कामना करें।
मनस: काममाकूतिं वाच: सत्यमशीमहि।
पशूनां रूप मन्नस्य मयि श्री: श्रयतां यश:।।
- इस मंत्र के अलावा जानकारी होने पर श्रीसूक्त का पूरा पाठ अवश्य करें। देवी लक्ष्मी की आरती धूप व घी के दीप से करें। मन, वचन व शब्दों से पाप की क्षमा मांगे।
- एक दीप प्रज्जवलित कर लक्ष्मी को आमंत्रण की भावना से घर के मुख्य द्वार पर रखें।
- शास्त्रों में हिन्दू पंचांग के वर्तमान में जारी अगहन माह के हर गुरुवार को भी लक्ष्मी पूजा धन व सुख संपन्न बनाने वाली मानी गई है।
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सांस की बीमारी (दमा या अस्थमा) एक आम रोग है। वर्तमान समय में अधिकांश लोग इससे पीडि़त हैं। आमतौर पर यह रोग अनुवांशिक होता है तो कुछ लोगों को मौसम के कारण हो जाता है। इसके कारण रोगी कोई भी काम ठीक से नहीं कर पाते और जल्दी थक जाते हैं। मेडिकल साइंस द्वारा इस रोग का संपूर्ण उपचार संभव है। साथ ही यदि नीचे लिखे उपायों को भी किया जाए तो इस रोग में जल्दी आराम मिलता है।
1- शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार से लगातार तीन सोमवार तक एक सफेद रूमाल में मिश्री एवं चांदी का एक चौकोर टुकड़ा बांधकर बहते जल में प्रवाहित करें तथा शिवजी को चावल के आटे का दीपक कपूर मिश्रित घी के साथ अर्पित करें। श्वास रोग दूर हो जाएंगे।
2- रविवार को एक बर्तन में जल भरकर उसमें चांदी की अंगूठी डालकर सोमवार को खाली पेट उस जल का सेवन करें। दमा रोग दूर हो जाएगा।
3- किसी भी मास के प्रथम सोमवार को विधि-विधानपूर्वक चमेली की जड़ को अभिमंत्रित करके सफेद रेशमी धागे में बांधकर गले में धारण करें और प्रत्येक सोमवार को बार-बार आइने में अपना चेहरा देंखे। सांस की सभी बीमारियां दूर हो जाएंगी।
4- सांस की नली में सूजन, सांस लेने में तकलीफ, फेफड़ों में सूजन के कारण कफ जमने अथवा खांसी से मुक्ति पाने के लिए किसी शुभ समय में केसर की स्याही और तुलसी की कलम द्वारा भोजपत्र पर चंद्र यंत्र का निर्माण करवाकर गले में धारण करें। श्वास संबंधी सभी रोग दूर हो जाएंगे।
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