क्या आपका बच्चा पढ़कर भूल जाता है?, अधिक परिश्रम करने के बाद भी रिजल्ट ठीक नहीं आता? या बच्चा पढऩे में होशियार तो है लेकिन उसका ध्यान पढ़ाई में नहीं लगता? यदि आपके बच्चे के साथ भी यह समस्याएं हैं कि घबराने की कोई जरुरत नहीं है क्योंकि गणेश रुद्राक्ष इन सभी समस्याओं का एकमात्र आसान उपाय है।
ज्योतिष के अनुसार पढ़ाई में सफलता के लिए बुध ग्रह का अनुकूल होना आवश्यक होता है। बुध ग्रह यदि अनुकूल हो तो व्यक्ति तीव्र बुद्धि से युक्त होता है तथा सामान्य प्रयास करने पर भी बेहतर परिणाम पा सकता है। गणेश रुद्राक्ष धारण करने से बुध ग्रह अनुकूल फल देने लगता है। गणेश रुद्राक्ष अध्ययन के प्रति एकाग्रता में वृद्धि करता है, स्मरण शक्ति बढ़ाता है तथा लेखन की शक्ति में भी वृद्धि करता है। इसके प्रभाव से सामान्य क्षमता वाला विद्यार्थी भी बेहतर परीक्षा परिणाम प्राप्त कर सकता है।
कैसे व कब धारण करें?
गणेश रुद्राक्ष धारण करने से पहले उसे गाय के कच्चे दूध तथा गंगाजल से धो लें तथा उसका पूजन करें। इसके पश्चात गणपतिअर्थवशीर्ष का पाठ करें। गणेश रुद्राक्ष को हरे रंग के धागे में धारण करें।
किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष मेंजिस बुधवार को सर्वाथसिद्धि योग बन रहा हो, उस दिन गणेश रुद्राक्ष पहनना शुभ होता है।
अगर आप जानना चाहते है कि आपकी किस्मत में पैसों का सुख कितना है? या ये जानना चाहते हैं कि आपके पास भविष्य में पैसा रहेगा या नहीं तो ये जानने का सबसे आसान तरीका है आपके बाल बस आइने में एक बार गौर से देखें, आप खुद जान जाएंगे कि आपकी किस्मत में क्या लिखा है।
मनुष्य के चेहरे को आकर्षक बनाने में बालों का अहम योगदान होता है। बाल सिर्फ चेहरे की सुंदरता ही नहीं बढ़ाते बल्कि मनुष्य के स्वभाव को भी व्यक्त करते हैं।
सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार जातक के सिर में एक रोमकूप में एक बाल होना ही शुभ होता है। ऐसे बाल ही उत्तम होते हैं। लेकिन यदि एक बाल में से कई शाखाएं निकली हों तो जातक की शक्ति कम करते हैं। ऐसे जातक दो विचारधाराओं के मध्य उलझे रहते हैं। किसी निर्णय तक नहीं पहुंच पाते जिससे सफलता नहीं मिलती।
- अगर आपके बाल पतले होते जा रहे हैं तो आपको आने वाले समय में जल्दी ही कोई बड़ा लाभ होने वाला है। ऐसे बाल वाले उत्तम स्वभाव, उदारता, प्रेम, दया, मृदुता, संकोच तथा संवेदनशीलता के प्रतीक होते हैं।
- इसके विपरीत अगर आपके बाल मोटे एवं कड़क होते जा रहे हैं तो आपको सावधान रहना चाहिए। ऐसे बालों वाले लोगों में उत्तम स्वास्थ्य एवं उच्च जीवनशक्ति होती है।
- अगर दिनों दिन आपक बाल सरल और सीधे होते जा रहे हैं तो आपको समझना चाहिए कि आने वाले समय में आपके सामने कोई नई योजना आने वाली है। ऐसे बाल आत्म संरक्षण, सरल स्वभाव, सीधी कार्य प्रणाली एवं स्पष्टवादिता के सूचक हैं।
भारतीय ज्योतिष के अनुसार जब चन्द्रमा कुंभ और मीन राशि पर रहता है तब उस समय को पंचक कहते हैं। यानी घनिष्ठा से रेवती तक जो पांच नक्षत्र (धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उतरा भाद्रपद एवं रेवती) होते है उन्हे पंचक कहा जाता है। कुछ विद्वानों ने इन नक्षत्रों को अशुभ माना है इसलिए पंचक में कुछ कार्य विशेष नहीं किए जाते हैं। इस बार पंचक का प्रारंभ 28 दिसंबर, बुधवार को रात के 8 बजकर 9 मिनिट से हो रहा है जो 2 जनवरी 2012, सोमवार शाम 4 बजकर 16 मिनिट तक रहेगा।
नक्षत्रों का प्रभाव
धनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि का भय रहता है।
शतभिषा नक्षत्र में कलह होने के योग बनते हैं।
पूर्वाभाद्रपद रोग कारक नक्षत्र होता है।
उतराभाद्रपद में धन के रूप में दण्ड होता है।
रेवती नक्षत्र में धन हानि की संभावना होती है।
पंचक में यह पांच कार्य न करें-
1-घनिष्ठा नक्षत्र में घास लकड़ी आदि ईंधन इकट्ठा नही करना चाहिए इससे अग्नि का भय रहता है।
2- दक्षिण दिशा में यात्रा नही करनी चाहिए क्योंकि दक्षिण दिशा, यम की दिशा मानी गई है इन नक्षत्रों में दक्षिण दिशा की यात्रा करना हानिकारक माना गया है।
3- रेवती नक्षत्र में घर की छत डालना धन हानि और क्लेश कराने वाला होता है।
4- चारपाई नही बनवाना चाहिए।
5- पंचक में शव का अंतिम संस्कार नही करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पंचक में शव का अन्तिम संस्कार करने से उस कुटुंब में पांच मृत्यु और हो जाती है।
यदि परिस्थितीवश किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक अवधि में हो जाती है तो शव के साथ पांच पुतले आटे या कुश से बनाकर अर्थी पर रखें और इन पांचों का भी शव की तरह पूर्ण विधि-विधान से अंतिम संस्कार करें तो परिवार में इस दोष से और किसी की मृत्यु नही होती एवं पंचक दोष समाप्त हो जाता है।