Tuesday, April 19, 2011

ग्रहों के अशुभ प्रभाव को रत्न क्यों और कैसे दूर करते हैं?



कुछ लोग शौकिया तौर पर रत्न धारण करते हैं तो कुछ ज्योतिष मान्यताओं के आधार पर। लेकिन क्या रत्नों से ज्योतिष का कोई संबंध है?रत्नों की रमणीयता जहां मानव मन को मोहित कर अपने आकर्षण से लुभाती रहती है वहीं हर कोई इनको पाने के लिए लालायित रहता है।रत्नों को पहनने से जहां समृद्धि की भावना समाहित रहती है वहीं शारीरिक, मानसिक, भौतिक आदि आपदाओं से बचने के उद्देश्य से भी रत्नों को पहना जाता है।कुण्डली में नवग्रहों के प्रभाव से बचने या उसे अपने पक्ष में करने के लिए रत्न पहने जाते हैं।

कुछ लोग इसे अंधविश्वास मानते हैं पर वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर यह सिद्ध हो चुका है कि इष्ट-प्राप्ति और अनिष्ट-निवारण में ये रत्न अपनी प्रभावकारी भूमिका निभाते हैं।सूर्य की किरणें सात रंग की होती हैं। ये किरणें जब रत्नों पर पड़ती हैं तो सकारात्मक ऊर्जा का भण्डार इन रत्नों से हमारे शरीर में प्रवेश करता है। यही सइससे मनुष्य के अंदर का आत्म-विश्वास जागता है और वह निरंतर आगे बढऩे की दिशा में प्रयासरत हो जाता है। इन रत्नों का प्रभाव भी राशि अनुसार पहनने वाले पर पड़ता है।जिस किसी भी कमजोर ग्रह का प्रभाव हमारे शरीर पर विपरीत पड़ता है सूर्य की किरणें रत्नों द्वारा उस कमी को पूरा करती हैं और वह कमजोर कमी दूर हो जाती है।


Varinder Kumar
ASTROLOGER
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Ludhiana Punjab India
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