भगवान श्रीकृष्ण, भगवान विष्णु के आठवें अवतार के रूप में ईश्वर का पूर्ण अवतार माने जाते हैं। श्रीकृष्ण चरित्र में बचपन की सरलता है, यौवनकाल का ऊर्जा, उत्साह व प्रेम है तो परिपक्वता के साथ कर्म का सबक भी। यही नहीं भगवान श्रीकृष्ण कर्म को सरलता, सहजता के साथ कर गुजर आनंद व सुख से जीवन बिताने की राह भी बताते हैं।
आज के व्यस्त जीवन में इंसान घर-परिवार और कार्यक्षेत्र से जुड़े कार्यों और जिम्मेदारियों के चलते इतनी भाग-दौड़ करता है कि थोड़े समय के बाद वह मानसिक दबाव के कारण राहत के पलों को खोजता रहता है। धर्मशास्त्रों के मुताबिक परेशानियों या संकट में ईश्वर का नाम या स्मरण भी मन को विश्वास और सुकून देता है।
इसी कड़ी में कर्मयोगी और आनंदमूर्ति श्रीकृष्ण के स्मरण का शास्त्रों में बताया एक छोटा-सा मंत्र काम की मुश्किलों और परेशानियों में भारी राहत देने वाला माना गया है। जिसे काम के दौरान मिले थोड़े से वक्त में भी मन एकाग्र कर बोलें तो यह मन-मस्तिष्क को भरपूर ऊर्जा प्रदान करता है। जानते हैं यह आसान मंत्र-
योगेश्वराय योगसम्भवाय योगपतये गोविन्दाय नमो नम:
- यथासंभव एकादशी पर प्रात: स्नान के बाद थोड़ा वक्त निकाल भगवान श्रीकृष्ण की पंचोपचार पूजा में चंदन, फूल चढ़ाकर धूप, दीप आरती व दूध, माखन-मिश्री या मिठाई का भोग लगाने के बाद इस मंत्र का यथाशक्ति स्मरण मन को शक्ति व ऊर्जा देने वाला माना गया है।
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