ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि जन्म कुंडली में राहु प्रतिकूल है तो हर कार्य में असफलता ही मिलती है। ऐसी स्थिति में राहु यंत्र की चल या अचल प्रतिष्ठा करके धारण करने से अथवा पूजन करने से शीघ्र ही अनुकूल फल प्राप्त होने लगते हैं। राहु यंत्र दो प्रकार का होता है। प्रथम नौग्रहों का एक ही यंत्र होता है द्वितीय नौग्रहों का अलग-अलग नौयंत्र होता है। प्राय: दोनों यंत्रों के एक जैसे ही कार्य एवं लाभ होते हैं।
यंत्र का उपयोग व लाभ
- राहु देव को प्रसन्न करना हो तो यंत्र के सम्मुख भैरव जी की पूजा भी करना चाहिए।
- प्रतिदिन सुबह नित्य कर्मों से निवृत्त होकर राहु यंत्र की पूजा करें और साथ ही राहु मंत्र का जप भी करें तो शीघ्र ही लाभ होगा।
- राहु को प्रसन्न के लिए सरसों और कोयले का दान अत्यन्त लाभकारी होता है।
- इस यंत्र की प्रतिदिन पूजा करने से सभी प्रकार केभय नष्ट होते हैं। शारीरिक स्वास्थ्य प्राप्त होता है। व्यापार आदि में सफलता मिलती है। समाज में प्रशंसा मिलती है तथा कार्यों में किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं होती।
Varinder Kumar
ASTROLOGER
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