Friday, October 14, 2011

शनिवार को करें यह टोटका, नहीं होगा बिजनेस में घाटा


व्यापार में नफा-नुकसान होता रहता है। कभी-कभी व्यापार में नुकसान ही नुकसान होता रहता है। इसके कई कारण हो सकते हैं। यह भी संभव है कि किसी ने प्रतिस्पर्धा के चलते आपके व्यापार को तंत्र क्रिया से बांध दिया हो। व्यापार पर की गई तंत्र क्रिया से बचने के लिए नीचे लिखा टोटका करें। इससे व्यापार में घाटा नहीं होगा और तेजी से फायदा होगा।

टोटका

यह प्रयोग शनिवार को करें। एक पीली कौड़ी लें, एक जोड़ा लौंग लें, एक जोड़ी छोटी इलाइची तथा अपने व्यापार स्थल (ऑफिस या दुकान) की एक चुटकी मिट्टी लेकर इन सभी को जलाकर राख बना लें। इनकी राख को एक पान के पत्ते पर रख लें। इसके बाद एक तांबे का सिक्का लें व उसमें एक छेद कर लें। इस राख को छेद वाले सिक्के के साथ किसी बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। जब भी यह टोटका करें उस दिन उपवास अवश्य रखें तथा नौ वर्ष से कम उम्र की कन्या को भोजन भी कराएं।

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बुरे साये, नजर और टोटकों को अपने ऊपर ले लेता है ये पेड़


जी हां ऐसा पेड़ भी होता है जो आपको बुरे साये, नजर और टोटको से बचाता है और अपने उपर ले लेता है।

अगर आप पर या आपके घर पर कोई बुरा साया नजर या टोटका किसी ने किया हो तो आपको अपने घर के बाहर या गार्डन में वास्तु ज्योतिष के अनुसार अशोक का पेड़ लगाना चाहिए। वास्तु के अनुसार अशोक का पेड़ पूर्ण पवित्र और सकारात्मक उर्जा से भरा पेड़ होता है। जिस घर पर इस पेड़ की छाया पड़ती है उस घर में लक्ष्मी का वास होता है और वहां सुख समृद्धि आती है।

इस पेड़ से संबंधित ऐसी अनेक छोटी-छोटी बाते हैं जिन पर ध्यान दिया जाए और विचार किया जाए तो   आपके घर को कभी बुरी नजर नहीं लगेगी।

कैसे बचाएगा ये पेड़

- रोज तांबे के लोटे में जल भर कर अशोक के पेड़ में सिंचना चाहिए। ये प्रयोग सोमवार से शुरू  करें।

- हर गुरुवार को अशोक के पेड़ की पूजा करें।

- किसी भी पूर्णिमा को पूजा का नाड़ा लेकर अपने पूरे घर पर लपेटें और 15 दिनों तक ऐसे ही रहने दें। 15 दिन बाद  वही नाड़ा घर से हटाकर अशोक के पेड़ पर लपेट दें।

- नये घर की सुरक्षा के लिए महीने में एक बार पहले शुक्रवार को अशोक पेड़ के पत्तों को धागे में डालकर  अपने घर के मेन गेट पर बांध दें।

- जिस रविवार को पुष्य नक्षत्र हो उस दिन अशोक पेड़ की जड़ लेकर आएं और पीले कपड़े में बांध कर  घर के मेनगेट पर बांध दें इससे घर पर कभी बुरी नजर साया कभी नहीं पड़ेगा।

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आज शनिवार-चतुर्थी का योग..शनि पीड़ा दूर करेगा यह गणेश मंत्र


शास्त्रों में शनिवार के साथ चतुर्थी का योग संकटमोचक माना जाता है। क्योंकि चतुर्थी पर भगवान गणेश की उपासना से विघ्रनाश तो शनिवार शनिदेव की पूजा से पीड़ाओं से छुटकारे का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यताओं में शनिदेव को गणेश भक्ति द्वारा शापमुक्ति का प्रसंग बताता है कि श्री गणेश की पूजा करने वाले भक्त शनिदेव का कृपा पात्र बनता है।

ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक कुण्डली में शनि दोष जीवन में शारीरिक, मानसिक व भाग्य बाधा का कारण बन सकता है। इसलिए इन परेशानियों से निजात पाने का आसान उपाय संकट चतुर्थी या शनिवार को भगवान गणेश का स्मरण माना जाता है।

भगवान गणेश की उपासना के लिए किसी देवालय में भगवान गणेश के सामने मात्र धूप बत्ती लगाने के साथ दूर्वा व मोदक का भोग चढ़ाकर शनि दोष शांति की कामना से गणेश के संकष्टनाशनंस्तोत्र का पाठ करना भी आसान व कारगर माना गया है। जानते हैं यह स्त्रोत -

प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम्।

भक्तावासं स्मरेनित्यमायु: कामार्थसिद्धये।1।

प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम्।

तृतीयं कृष्णंपिङा्‍गक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम्।2।

लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च।

सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्णं तथाष्टमम् ।3।

नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम्।

एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम्।4।

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर:।

न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो।5।

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्।

पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ।6।

जपेद् गणपतिस्तोत्रं षडभिर्मासै: फलं लभेत्।

संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: ।।7।।

अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा य: समर्पयेत्।

तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत:।8।

इति श्रीनारद पुराणे संकष्टनाशनंस्तोत्रं संपूर्णम्।


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करवा चौथ पर सुनें यह कथा, मिलेगी जीवन की हर खुशी


करवा चौथ अखंड सौभाग्य का व्रत है। इस बार यह व्रत 15 अक्टूबर, शनिवार को है। इस व्रत की कथा का उल्लेख श्रीवामन पुराण में भी है जो इस प्रकार है-

किसी समय इंद्रप्रस्थ में वेद शर्मा नामक एक विद्वान ब्राह्मïण रहता था। उसकी पत्नी लीलावती से उसके सात पुत्र और एक सुलक्षणा वीरावती नामक पुत्री पैदा हुई। वीरावती के युवा होने पर उसका विवाह एक उत्तम ब्राह्मïण से कर दिया गया। जब कार्तिक कृष्ण चतुर्थी आई, तो वीरावती ने अपनी भाभियों के साथ बड़े प्रेम से करवा चौथ का व्रत शुरू किया लेकिन भूख-प्यास से पीडि़त होकर वह चंद्रोदय के पूर्व ही बेहोश हो गई। बहन को बेहोश देखकर सातों भाई व्याकुल हो गए और इसका उपाय खोजने लगे।

उन्होंने अपनी लाड़ली बहन के लिए पेड़ के पीछे से जलती मशाल का उजाला दिखाकर बहन को होश में लाकर चंद्रोदय निकलने की सूचना दी, तो उसने विधिपूर्वक अध्र्य देकर भोजन कर लिया। ऐसा करने से उसके पति की मृत्यु हो गई। अपने पति के मृत्यु से वीरावती व्याकुल हो उठी। उसने अन्न-जल का त्याग कर दिया। उसी रात्रि में इंद्राणी पृथ्वी पर विचरण करने आई। ब्राह्मïण-पुत्री ने उससे अपने दु:ख का कारण पूछा, तो इंद्राणी ने बताया- हे वीरावती। तुमने अपने पिता के घर पर करवा चौथ का व्रत किया था, पर वास्तविक चंद्रोदय के होने से पहले ही अध्र्य देकर भोजन कर लिया, इसीलिए तुम्हारा पति मर गया।

अब उसे पुनर्जीवित करने के लिए विधिपूर्वक करवा चौथ का व्रत करो। मैं उस व्रत के ही पुण्य प्रभाव से तुम्हारे पति को जीवित करूंगी। वीरावती ने बारह मास की चौथ सहित करवाचौथ का व्रत पूर्ण विधि-विधानानुसार किया, तो इंद्राणी ने अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार प्रसन्न होकर चुल्लूभर पानी उसके पति के मृत शरीर पर छिड़क दिया। ऐसा करते ही उसका पति जीवित हो उठा। घर आकर वीरावती अपने पति के साथ वैवाहिक सुख भोगने लगी। समय के साथ उसे पुत्र, धन, धान्य और पति की दीर्घायु का लाभ मिला।

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करवा चौथ आज: पूजा की थाली में रखें यह सब


आज सुहागिनों महिलाओं का महापर्व करवा चौथ है। पति की लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन के लिए व्रत रखा जाता है। साथ ही जब चांद निकलता है तो चंद्र पूजा की जाती है। फिर पति की पूजा का विधान है। संपूर्ण पूजन सामग्री के बिना यह व्रत पूर्ण नहीं होता, अत: पूजा की थाली में निम्न सामग्री अवश्य रखें-

करवा चौथ की कथा की किताब, सिंदूर और कुमकुम, मौली, करवा, पूजा थाली, चढ़ावा और उपला, चंदन, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्च दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मिठाई, गंगाजल, अक्षत, मेहंदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, बिछुआ, दीपक, रुई, कपूर, गेहूं, बूरा, हल्दी, पानी का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, चलनी, आठ पूरियों की अठावरी व हलुआ।


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कुंवारी लड़कियों की एक चिंता आज हो जाएगी दूर, क्योंकि...


किसी भी अविवाहित कन्या की इच्छा होती है कि उसका विवाह किसी सुयोग्य वर के साथ हो। इसके लिए काफी कन्याएं हमेशा ही भगवान से प्रार्थना भी करती रहती हैं। सुयोग्य वर प्राप्ति के लिए करवा चौथ का दिन सबसे अच्छा उपाय है। इस लिए सभी सुहागन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन के लिए कामना करती हैं वहीं कुंवारी लड़कियां सुयोग्य वर प्राप्ति के लिए यह व्रत कर सकती हैं।
करवा चौथ की प्राचीन परंपरा...

करवा चौथ पर पति के लिए व्रत किया जाता है, यह परंपरा अति प्राचीन काल से ही चली आ रही है। करवा चौथ पति एवं पत्नी दोनों के लिए नवप्रणय, प्रेरम, त्याग की चेतना लेकर आता हैं। इस दिन चंद्रमा का पूजन होता हैं। इसके अलावा सभी स्त्रियों को शिव-पार्वती एवं गणेश-कार्तिकेय का पूजन भी करना चाहिए। इससे अंखड़ सौभाग्य एवं संतान प्राप्ति होती हैं।

कुंआरी कन्याओं भी करें आज व्रत-

जिन कन्याओं के विवाह में बाधाएं आ रही हैं, अच्छा वर प्राप्त नहीं हो रहा हो तो वह भी आज व्रत करके चद्रंमा का दर्शन करें एवं गौरी का पूजन भगवान शंकर के साथ करें। इस प्रकार व्रत और पूजन करने के पश्चात निश्चित रूप से शुभ लक्षणों वाला वर प्राप्त हो जाएगा। ऐसी संभावनाएं बनना शुरू हो जाएंगी और इस व्रत से कन्याओं की सुयोग्य वर संबंधी चिंताएं समाप्त हो जाएंगी। 

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15 अक्टूबर : आज का पंचांग, ग्रह स्थिति और यात्रा की शुभ दिशा


जानिए: आज का पंचाग, किस दिशा में यात्रा करें? चोरी गई वस्तु कहां मिलेगी? आज कौन सा ग्रह, किस राशि में है?

15 अक्टूबर 2011: शनिवार, सूर्य दक्षिणायन, कार्तिक मास, कृष्ण पक्ष, शोभन नाम संवत्सर, संवत् 2068, शरद ऋतु।

तिथि - चतुर्थी

विशेष - कार्तिक मास

नक्षत्र - कृतिका रात 2.10 से रोहिणी

सूर्योदय - 05:50

सूर्यास्त - 07:10

अक्षांश - 23:11 उत्तर

देशांश - 75:43 पूर्व

ग्रह स्थिति - चंद्र वृष में, सूर्य कन्या में, मंगल कर्क में, बुध कन्या में, गुरू मेष में, शुक्र तुला में, शनि कन्या राशि में, राहु वृश्चिक में और केतु वृष राशि में स्थित है।

किस दिशा में यात्रा - पूर्व दिशा, यदि आवश्यक हो तो गुड़ का सेवन कर के यात्रा करें।

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