भाई-दूज का पर्व कार्तिक मास के
शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 28 अक्टूबर,
शुक्रवार को है। इस दिन यमराज का पूजन किया जाता है। पूजन विधि इस प्रकार
है-
पूजन विधि
इस दिन यमुना में स्नान करके यमुना तथा यमराज के पूजन का विशेष विधान है। इसके अलावा भाई-बहन के घर आकर उसके हाथ का बना भोजन करता है और बहन -भाई की पूजा करती है। विवाहिता बहनें अपने भाइयों को अपने घर ससुराल में आमंत्रित करती हैं, जबकि अविवाहिता बहनें अपने पिता के घर पर ही भाइयों को भोजन कराती हैं। जिनकी बहन नहीं होती, वे जिसे मुंहबोली बहन बनाते हैं, उसको इसी विधि से सत्कार करना चाहिए।
इसके पश्चात बहन-भाई दोनों मिलकर यम, चित्रगुप्त और यम के दूतों का पूजन करें तथा सबको अध्र्य दें। बहन भाई की आयु-वृद्धि के लिए यम की प्रतिमा का पूजन करें। प्रार्थना करें कि मार्कण्डेय, हनुमान, बलि, परशुराम, व्यास, विभीषण, कृपाचार्य तथा द्रोणाचार्य इन आठ चिरंजीवियों की तरह मेरे भाई को भी चिरंजीवी कर दें। इस दिन गोधन कूटने की भी प्रथा है। गोबर से बनी मनुष्याकृति बनाकर उसकी छाती पर ईंट रखी जाती है और उस पर स्त्रियां मूसल से प्रहार करती हुई उसे तोड़ती हैं, कथा सुनती हैं।
इसके पश्चात भाई को भोजन कराती हैं। मिष्ठान खाने के बाद भाई यथाशक्ति बहन को भेंट देता है। जिसमें स्वर्ग, आभूषण, वस्त्र आदि प्रमुखता से दिए जाते हैं। लोगों में ऐसा विश्वास भी प्रचलित है कि इस दिन बहन अपने हाथ से भाई को भोजन कराए तो उसकी उम्र बढ़ती है और उसके जीवन के कष्ट दूर होते हैं।
पूजन विधि
इस दिन यमुना में स्नान करके यमुना तथा यमराज के पूजन का विशेष विधान है। इसके अलावा भाई-बहन के घर आकर उसके हाथ का बना भोजन करता है और बहन -भाई की पूजा करती है। विवाहिता बहनें अपने भाइयों को अपने घर ससुराल में आमंत्रित करती हैं, जबकि अविवाहिता बहनें अपने पिता के घर पर ही भाइयों को भोजन कराती हैं। जिनकी बहन नहीं होती, वे जिसे मुंहबोली बहन बनाते हैं, उसको इसी विधि से सत्कार करना चाहिए।
इसके पश्चात बहन-भाई दोनों मिलकर यम, चित्रगुप्त और यम के दूतों का पूजन करें तथा सबको अध्र्य दें। बहन भाई की आयु-वृद्धि के लिए यम की प्रतिमा का पूजन करें। प्रार्थना करें कि मार्कण्डेय, हनुमान, बलि, परशुराम, व्यास, विभीषण, कृपाचार्य तथा द्रोणाचार्य इन आठ चिरंजीवियों की तरह मेरे भाई को भी चिरंजीवी कर दें। इस दिन गोधन कूटने की भी प्रथा है। गोबर से बनी मनुष्याकृति बनाकर उसकी छाती पर ईंट रखी जाती है और उस पर स्त्रियां मूसल से प्रहार करती हुई उसे तोड़ती हैं, कथा सुनती हैं।
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