Tuesday, October 23, 2012

दशहरे पर करें काले तिल का छोटा सा चमत्कारी उपाय

दशहरे पर करें काले तिल का छोटा सा चमत्कारी उपाय


हम जाने-अनजाने कई ऐसे कार्य करते हैं जिन्हें शास्त्रों के अनुसार पाप समझा जाता है। वेद-पुराण में पाप और पुण्य के संबंध में कई नियम बताए गए हैं। इनके अनुसार अधिकांश लोग कुछ न कुछ ऐसे कार्य अवश्य करते हैं जिन्हें पाप की श्रेणी में रखा जाता है। ऐसे कार्यों के विषय में हमें जानकारी नहीं रहती। ऐसे ही पापों से बचने के लिए मां दुर्गा के लिए एक विशेष उपाय बताया गया है।

ऐसा माना जाता है कि मृत्यु के बाद सभी को अपने किए पाप-पुण्य के कर्मों के फल प्राप्त होते हैं। शास्त्रों के अनुसार जाने-अनजाने में किए ऐसे ही पाप कर्मों के बुरे फल यमराज की भयंकर यातनाओं के रूप में प्राप्त होते हैं। यमराज के संबंध में कई बातें बताई गई हैं।


यदि इस प्रकार की सभी यातनाओं से बचना है तो दशहरे के लिए मां काली को काले तिल अर्पित करने से व्यक्ति के पापों में कमी आती है और पुण्य में वृद्धि होती है। प्रतिवर्ष दशहरे के दिन प्रात: माता दुर्गा का पूजन करके उनको काले तिल अर्पण करना चाहिए।

ऐसा माना जाता है कि यमराज का एक अलग लोक है जिसे यमपुरी के नाम से जाना जाता है। किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात आत्मा इसी लोक में आती है। जहां आत्मा को उसके द्वारा धरती पर जन्म के बाद किए गए पाप और पुण्य कर्मों का फल प्राप्त होता है। यदि कोई व्यक्ति पापी होता है तो उसे कई प्रकार की यातनाएं वहां सहना पड़ती है।


इसके साथ ही संकल्प करें कि सभी बुरी आदतों एवं लतों का त्याग करेंगे। ऐसा करने से यमलोक में मिलने वाली यातना का भय नहीं रहता है। इसके साथ ही खुद को सभी प्रकार के बुरे और अधार्मिक कार्यों से दूर रखें।

Wednesday, August 1, 2012

Happy Raksha Bandhan...... आज: राखी इस विधि से मनाएं रक्षा बंधन, घर आएगी खुशहाली



Happy Raksha Bandhan......

आज: राखी इस विधि से मनाएं रक्षा बंधन, घर आएगी खुशहाली


आज: यानी 2 अगस्त, गुरुवार को रक्षा बंधन का पर्व है। धर्म शास्त्रों में इस पर्व के बारे में वर्णन मिलता है। उसी के अनुसार रक्षा बंधन पर बहन भाई को, पुरोहित यजमान को व प्रजा राजा को रक्षा सूत्र बांधकर संरक्षण प्राप्ति का वचन लेते हैं। भविष्य पुराण के अनुसार विधि-विधान पूर्वक रक्षा बंधन करने से मनुष्य वर्ष भर धन-धान्य से परिपूर्ण होता है। भविष्य पुराण में रक्षा सूत्र के बारे में कहा गया है-

सर्व रोग पशमनं सर्वाशुभ विनाशनम।

सुंकृत्कृते नाब्दमेकं येन रक्षा कृता भवेत।।

अर्थात इस पर्व पर धारण किए जाने वाला रक्षा सूत्र समस्त रोगों एवं अशुभ कार्यों को नष्ट करता है तथा इसे धारण करने से मनुष्य वर्ष भर के लिए रक्षित हो जाता है।

रक्षा बंधन की विधि

इस दिन महिलाएं एवं पुरोहित सुबह स्नान करके सूर्य को तांबे केबर्तन से अध्र्य अर्पित करें। दोपहर बाद सूती, रेशमी या पीले कपड़े में चावल, केशर, चंदन, सरसों व दूर्वा रखकर रखकर एक पोटली (रक्षा पोटलिका) बनाएं और उसे एक तांबे के लोटे में रखकर भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित कर दें। फिर लाल कलावा (पूजा में उपयोग आने वाला पवित्र धागा) लेकर गंगाजल, हल्दी व केशर से पवित्र करें तथा अपने इष्ट देव का ध्यान करते हुए घर के मुख्य द्वार पर बांध दें।

इसके बाद बहनें भाइयों को कुल पंरपरानुसार आरती कर तिलक निकालें तथा मिठाई खिलाकर दाहिने हाथ में रक्षा सूत्र(राखी) बांधें तथा शगुन स्वरूप रूमाल इत्यादि भेंट करें। भाई भी अपनी शक्ति के अनुसार बहनों को उपहार दें। इस प्रकार रक्षा बंधन का पर्व मनाने से घर में खुशहाली आती है।


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Thursday, June 7, 2012

मेरा अपना घर हो, इसके लिए क्या करूं?


पाठकों के ज्योतिष और वास्तु संबंधी सवालों के जवाब दे रहे हैं ज्योतिषीय एवं आध्यात्मिक चिन्तक वरिन्दर कुमर

प्रश्न: मेरा स्वयं का घर नहीं है। क्या प्राचीन ग्रंथों में इसका कोई उपाय सुझाया गया है?
-लक्ष्मण दास पुराणिक

उत्तर: स्वयं को सुयोग्य बनाकर व अपनी क्षमता को पहचानकर किए गए उद्यम से प्राप्त धन की सही योजना आपको कभी न कभी उचित आवास अवश्य उपलब्ध कराएगी, ऐसा मेरा विश्वास है। जहां तक प्राचीन ग्रंथों की बात है, तो सबसे स्पष्ट वर्णन 'स्कंद पुराण' के 'वैष्णव खंड' में मिलता है, जहां 'ॐ नम: श्री वाराहाय धरण्युद्धारणाम् स्वाहा' मंत्र के 4 लक्ष (कलयुग में 16 लक्ष) जाप तथा घी व मधुमिश्रित खीर से दशांश हवन का परामर्श प्राप्त होता है। इस मंत्र के ऋषि-'संकर्षण', देवता- 'वाराह', छंद- 'पंक्ति' और बीज- 'श्री' हैं, परंतु ये सब तंत्रशास्त्र की तकनीकी बातें हैं, जो ज्ञान के लिए तो ठीक हैं, पर बगैर किसी विद्वान की सलाह के मैं इन्हें आजमाने की सलाह कदापि नहीं देता। ध्यान रखें, सही दिशा में किए गए 'सटीक कर्म' का कोई विकल्प नहीं है।


प्रश्न: मैंने घर बनाने के लिए दो प्लॉट देखा है। किसी ने बताया है कि एक प्लॉट 'नागपृष्ठ' है और दूसरा 'गज पृष्ठ' है। ये क्या होता है, क्या इसे खरीदना शुभ रहेगा?

-पूरन चंद्र खेमका

उत्तर: वास्तु नियमों के अनुसार जो भूमि उत्तर व दक्षिण में तो ऊंची हो, पर मध्य में नीची हो, उसे 'नागपृष्ठ' कहते हैं। ऐसी भूमि पर निवास करना शुभ नहीं माना जाता। जो भूमि दक्षिण से पश्चिम तक ऊंची हो, उसे 'गजपृष्ठ' कहा जाता है। इस भूमि पर निवास करने से ऐश्वर्य, धन, संपदा, सुख और संतान में वृद्धि होती है।


प्रश्न: यदि आग्नेय कोण पर किचन बनाना संभव न हो, तो कहां बना सकते हैं? नॉर्थ-ईस्ट कॉर्नर पर रसोई घर कैसा रहेगा?
- सुप्रिया काबरा

उत्तर : दक्षिण - पूर्व यानी आग्नेय कोण ही अग्नि का सर्वश्रेष्ठ स्थान है , पर यदि यहां पाकशाला बनाना संभव ही हो , तो वायव्य कोण यानी उत्तर - पश्चिम में भी रसोई घर का निर्माण किया जा सकता है। उत्तर - पूर्व में रसोई घर बनाना शुभ नहीं है। इससे पारिवारिक विवाद , मानसिक तनाव , झगड़े धन के अपव्यय की परिस्थिति निर्मित हो सकती है , ऐसा वास्तु शास्त्र के नियम कहते हैं।



टिप्स ऑफ वीक

- साउथ - वेस्ट के कक्ष में चमकीले फर्श , दर्पण इत्यादि से बचना चाहिए। ये कानूनी परेशानियां उत्पन्न करके धन का अपव्यय कर सकते हैं।

- उत्तर या उत्तर - पूर्व में अग्नि की उपस्थिति शुभ फल प्रदायक नहीं होती। यह पारिवारिक अशांति को जन्म देकर सुख - संपत्ति में कमी कर सकता ै। 


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इन खास दिनों पर किसी को कुछ देने से संवर जाती है किस्मत



जीवन में सही समय, सही उद्देश्य के लिया गया अच्छा काम वास्तविक रूप से धर्म पालन है। क्योंकि ऐसे काम ही हमेशा सुख-शांति और यश की कामना को पूरी करने वाले होते हैं। शास्त्रों के मुताबिक दैहिक, मानसिक और आत्मिक सुख देने वाला ऐसा ही कर्म है-दान। 

व्यावहारिक रूप से दान से जुड़ा देने का भाव अहं व स्वार्थ जैसे दोषों को घटाता है। इसलिए दान के लिए त्याग, निस्वार्थ और विनम्रता के भाव ही सार्थक व सुख देने वाले माने गए है। यही कारण है कि जन्म से लेकर मृत्यु कर्मों तक में धार्मिक महत्व की दृष्टि दान परंपराएं जुड़ी है। चाहे वह पशु दान हो या कन्यादान। 

इसी कड़ी में शिवपुराण में लिखा है कि जिसे जिस वस्तु की जरूरत हो, उसे बिना मांगे ही दे दी जाए तो ऐसा दान बहुत फलीभूत होता है। जिसके लिए विशेष दिनों पर किया दान धर्म दीनता व दु:खों से बचाने वाला बताया गया है। जानते हैं वे खास दिन - 

दान के लिए वैसे तो चैत्र सहित सभी हिन्दू पंचांग के बारह माह शुभ है, लेकिन इनमें भी आने वाली विशेष घडिय़ां बहुत शुभ मानी गई है। जो ये हैं - 

- किसी भी माह की सूर्य संक्रांति के दिन किया गया दान अन्य शुभ दिनों की तुलना में दस गुना पुण्य देता है। 

- सूर्य संक्रांति से भी दस गुना पुण्यदायी सूर्य के विषुव योग यानी सूर्य विषुवत् रेखा स्थिति, जो हिन्दू पंचांग के मुताबिक चैत्र नवमी और आश्विन माह की नवमी पर बनता है।  

- विषुव योग से दस गुना फल कर्क संक्रांति यानी दक्षिणायन शुरू होने के दिन। 

- कर्क संक्रांति से भी दस गुना मकर संक्रांति यानी उत्तरायन शुरू होने के दिन। 

- इनसे भी अधिक पुण्य चन्द्रग्रहण और सबसे श्रेष्ठ समय सूर्यग्रहण के दौरान व बाद माना गया है। 

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Wednesday, June 6, 2012

चीटियां भी बताती है भविष्य की ये खास बात...


एक वर्ष में तीन मौसम बताए गए हैं सर्दी, गर्मी और बरसात। अभी गर्मी का मौसम समाप्त होने वाला है और बारिश का शुरू। बारिश को लेकर हमेशा से ही कई प्रकार की भविष्यवाणियां की जाती रही हैं। ज्योतिष के अनुसार तो बारिश की सटीक भविष्यवाणी की जा सकती हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि चीटियां भी बारिश की भविष्यवाणी करती हैं और बारिश की पूर्व सूचना दे देती हैं।

जी हां, यह बात सत्य है कि बारिश से पूर्व चीटियां इशारा कर देती हैं। अक्सर काफी लोगों ने देखा होगा कि बारिश के पूर्व चीटियों के झुंड पेड़ पर चढ़ते-उतरते दिखाई देते हैं। ध्यान से देखने पर मालुम होता है कि चीटियां सफेद रंग के छोटे-छोटे अंडे पेड़ पर ऊपर की ओर ले जा रही होती हैं। यदि ऐसा दृश्य कभी भी दिखाई देता है तो समझ लेना चाहिए कि बारिश होने वाली है। बारिश के संबंध में जानकारी प्राप्त करने का यह काफी पुराना तरीका है। आज भी कई स्थानों पर इस तरीके का उपयोग बारिश की जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

इसके अलावा यदि अत्यधिक वर्षा या सामान्य वर्षा के समय चीटियां अपने अंडे पानी में डाल दे तो यह संकेत है बारिश रुकने का। जब चीटियां अपने अंडे पानी में डालने लगे तो समझ लेना चाहिए कि बारिश शीघ्र ही थम जाएगी। चींटियों को बहुत ध्यान से देखने पर ही ये बात मालुम हो सकती है।

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Monday, June 4, 2012

चंद्रग्रहण आज: जानिए ग्रहण के बारे में वो सब जो आप जानना चाहते हैं

 ज्योतिषियों के अनुसार आज यानी 4 जून, सोमवार (ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा) को खण्डग्रास चंद्रग्रहण होगा। यह चंद्रग्रहण ज्येष्ठा नक्षत्र, वृश्चिक राशि में होगा। भारत में यह चंद्रग्रहण दिखाई नहीं देगा इसलिए धार्मिक दृष्टि से भारत में इसकी कोई मान्यता नहीं रहेगी।

ज्योतिषियों के अनुसार ग्रहण का प्रारंभ दोपहर 3 बजकर 30 मिनट से होगा जो शाम 5 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगा। ग्रहण का सूतक काल 4 जून को सुबह सूर्योदय के साथ ही प्रारंभ हो जाएगा। ग्रहण का कुल समय 3 घंटे 09 मिनट रहेगा। यह चंद्रग्रहण एशिया, ऑस्टे्रलिया, उत्तर और दक्षिण अमेरिका, पेसिफिक महासागर आदि स्थानों पर दिखाई देगा।

इन बातों का रखें ध्यान

धर्म शास्त्रों के अनुसार ग्रहण काल में अपने इष्टदेव का ध्यान, गुुरु मंत्र का जप, धार्मिक कथाओं का श्रवण एवं मनन करना चाहिए। इनमें से कुछ न कर पाने की स्थिति में राम नाम का या अपने इष्टदेव के नाम का जप भी कर सकते हैं। इस दौरान भगवान की मूर्ति को छूना, भोजन पकाना या खाना एवं पीना, सोना, मनोरंजन या कामुकता का त्याग करना चाहिए। ग्रहण के पश्चात पूरे घर की शुद्धि एवं स्नान कर दान देने का महत्व है।

ये लोग न देखें ग्रहण

जिसके जन्म नक्षत्र, जन्मराशि, जन्म लग्न पर ग्रहण हो वे लोग ग्रहण के दर्शन न करें। ग्रहण के लगते ही स्नान करके जप, पाठ आदि पूजन करें। ग्रहण के मध्य समय में हवन व देव पूजन करें। ग्रहण के अंत में या बाद में दान-दक्षिणा दें। मोक्ष के बाद पुन: स्नान करें।

वैज्ञानिक कारण

चंद्रग्रहण पूर्णिमा को होता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी होती है और तीनों (सूर्य, पृथ्वी व चंद्रमा) बिल्कुल एक सीध में, एक सरल रेखा में होते हैं। पृथ्वी जब सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और चंद्रमा पृथ्वी की छाया में होकर गुजरता हैं तो चंद्रग्रहण होता है। पृथ्वी की वह छाया चंद्रमा को ढंक देती है जिससे चंद्रमा में काला मंडल दिखाई देता है। यह खगोलीय घटना ही चंद्रग्रहण कहलाती है।

धार्मिक कारण

अमृत प्राप्ति के लिए जब देवताओं व दानवों ने समुद्र मंथन किया तो समुद्र में से धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर निकले, इस अमृत कलश को इंद्र का पुत्र जयंत लेकर भाग गया। अमृत कलश के लिए देवताओं व दानवों में घोर युद्ध हुआ। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप लिया और कहा कि मैं बारी-बारी से देवता व दानवों को अमृत पिला दूंगी। सभी सहमत हो गए। मोहिनी रूपधारी भगवान विष्णु चालाकी से देवताओं को अमृत पिलाने लगे और दानवों के साथ छल लिया। यह बात राहु नामक दैत्य ने जान ली और वह रूप बदलकर सूर्य व चंद्र के बीच जा बैठा। जैसे ही राहु ने अमृत पीया, सूर्य व चंद्रदेव ने उसे पहचान लिया और मोहिनी रूपधारी भगवान विष्णु को यह बात बता दी। तत्काल भगवान ने सुदर्शन चक्र निकाला और राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया लेकिन अमृत पीने के कारण वह मरा नहीं। राहु के दो टुकड़े हो गए। एक बना राहु दूसरा बना केतु। इस घटना के बाद से राहु ने सूर्य व चंद्रदेव से दुश्मनी पाल ली। धर्म ग्रंथों के अनुसार राहु व केतु उसी बात का बदला ग्रहण के रूप में लेते हैं।



Sunday, June 3, 2012

पति-पत्नी में बढ़ते तनाव का कारण कहीं ये तो नहीं...



पति-पत्नी में बढ़ते तनाव का कारण कहीं ये तो नहीं...


वास्तु शास्त्र में घर में रखी जाने वाली हर वस्तु का जिक्र किया गया है। कौन सी वस्तु कहां पर सकारात्मक प्रभाव डालती है और कहां नकारात्मक, इन बातों का भी वास्तु में विशेष ध्यान रखा जाता है। वास्तु शास्त्र में घर में आईना कहां रखा जाना चाहिए यह भी बताया गया है।


वास्तु के अनुसार दर्पण में से एक प्रकार की ऊर्जा बाहर निकलती है। यह ऊर्जा कितनी अच्छी या कितनी बुरी हो सकती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि दर्पण किस स्थान पर लगा हुआ।

यहां नहीं लगाएं आईना

वास्तु के अनुसार शयन कक्ष में आईना लगाना वर्जित है। पलंग के सामने आईना बिल्कुल नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे पति-पत्नी के वैवाहिक सम्बन्धों में भारी तनाव पैदा होता है। इसके कारण पति-पत्नी के अच्छे- भले सम्बन्धों के बीच किसी तीसरे व्यक्ति का प्रवेश भी हो सकता है।


ऐसे बचे आईने के बुरे प्रभावों से

आईना का नकारात्मक प्रभाव कम करने के लिए उन्हें ढक कर रखना चाहिए अथवा इसे अलमारियों के अन्दर की ओर लगवाने चाहिए। पलंग पर सो रहे पति-पत्नी को प्रतिबिंबित करने वाला आईना तलाक तक का कारण बन सकता है। इसलिए रात्रि के समय आईना आंखों के सामने नहीं होना चाहिए। छत में भी आईने नहीं लगे होने चाहिए।


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वास्तु टिप्स: ऐसा हो स्टडी रूम तो बच्चों पर होगा पॉजीटिव असर


स्टडी रूम का जीवन में काफी महत्व है। स्टडी रूम की दिशा, द्वार, उसकी सजावट आदि यदि वास्तुनुरूप हो तो छात्र मन लगाकर अध्ययन करता है। इसका सकारात्मक प्रभाव छात्र के जीवन पर भी पड़ता है। स्टडी रूम बनवाते समय इन बातों का ध्यान रखना चाहिए-

1- उत्तर-पूर्व व ईशान कोण सदैव ज्ञानवद्र्धक दिशाएं होती हैं। स्टडी रूम ईशान कोण में बनाएं या पश्चिम या वायव्य कोण में भी बना सकते हैं लेकिन इनको बनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि इसका मुख या मुख्य द्वार उत्तर-पूर्व या ईशान कोण में ही हो।

2- स्टडी रूम में विद्या की देवी सरस्वती और ईष्टदेव का चित्र अवश्य लगाएं। चित्रों में प्रेरक महापुरुषों के भी चित्र लगाना उत्तम है।

3- स्टडी रूम में पुस्तकें सदैव नैऋत्य दिशा में बुक सेल्फ में रखें।

4- स्टडी टेबल के समीप या सामने दर्पण कदापि न लगाएं।

5- यदि नैऋत्य दिशा में पुस्तकें नहीं रख सकतें हैं तो दक्षिण या पश्चिम दिशा में बुक सेल्फ में रखें।

6- सदैव उत्तर, पूर्व या ईशान दिशा की ओर मुख करके पढऩा चाहिए।
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Sunday, March 11, 2012

चाहें धन, तो सोमवार को बिल्वपत्र पेड़ के पास शिव भक्त को दें ये चीज़


हिन्दू धर्म सोमवार का दिन भगवान शिव की उपासना का होने से कामनापूर्ति के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं में प्रकृति का कण-कण शिव रूप ही माना गया है। इसी कड़ी में बिल्व वृक्ष शिव का ही रूप माना गया है।

शिवपुराण में बिल्ववृक्ष की जड़ में सभी तीर्थस्थान माने गए हैं। इसलिए बिल्ववृक्ष की पूजा शिव उपासना ही मानकर अनेक देवताओं की पूजा का पुण्य देने वाली मानी गई है।

बिल्ववृक्ष पूजा से सांसारिक जीवन की अनेक कामनाओं को पूरा करने वाली मानी गई है। यहां जानते हैं किन-किन मुरादों को बिल्ववृक्ष पूजा पूरा करती है-

- बिल्ववृक्ष के नीचे शिवलिंग पूजा से सभी मनोकामना पूरी होती है।

- बिल्व की जड़ का जल अपने सिर पर लगाने से उसे सभी तीर्थों की यात्रा का पुण्य पा जाता है।

- गंध, फूल, धतुरे से जो बिल्ववृक्ष की जड़ की पूजा करता है, उसे संतान और सभी सुख मिल जाते हैं।

- बिल्ववृक्ष के बिल्वपत्रों से पूजा करने पर सभी पापों से मुक्त हो जाते हैं।

- बिल्व की जड़ के पास किसी शिव भक्त को घी सहित अन्न या खीर दान देता है, वह कभी भी धनहीन या दरिद्र नहीं होता।


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Friday, March 9, 2012

सुबह-शाम कहां, कब और कैसे गायत्री मंत्र बोलना होता है असरदार?


वेदमाता गायत्री आदिशक्ति है। ज्ञान शक्ति रूप माता गायत्री का स्मरण सांसारिक जीवन की हर परेशानियों से बाहर आने और मनोरथ पूरे करने के लक्ष्य से बहुत अहमियत है। यही कारण है कि गायत्री के ध्यान और उपासना के लिए गायत्री मंत्र का जप बहुत ही असरदार माना गया है।

मंत्र, श्लोक या स्त्रोत के जप का शुभ फल तभी संभव है, जब उनके लिए नियत समय, नियम और मर्यादा का पालन किया जाए। गायत्री मंत्र जप के लिए भी ऐसा ही नियत वक्त और नियम शास्त्रों में बताए गए हैं। जानिए, गायत्री मंत्र का जप कब से कब तक करना चाहिए -

- यथासंभव गायत्री मंत्र का जप किसी नदी या तीर्थ के किनारे, घर के बाहर एकान्त जगह या शांत वन में बहुत प्रभावी होता है।

- गायत्री मंत्र जप और संध्या का महत्व सूर्योदय से पहले है। इसलिए सूर्य उदय होने से पहले उठकर जब तक आसमान में तारे दिखाई दे, संध्याकर्म के साथ गायत्री मंत्र का जप करें।

- इसी तरह शाम के समय सूर्य अस्त होने से पहले संध्या कर्म और गायत्री मंत्र का जप शुरू करें और तारे दिखाई देने तक करें।

- धार्मिक दृष्टि से सुबह के समय खड़े होकर किया गया संध्याकर्म और गायत्री जप रात के पाप और दोषों को दूर करते हैं।

- वहीं शाम को बैठकर किया गया संध्या कर्म और गायत्री जप दिन में हुए दोष और पाप नष्ट करते हैं।

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Thursday, March 8, 2012

बहुत चमत्कारी है ये मामूली बांसुरी, पढ़ें और जानें कितने कमाल की है




आपको ये जान कर आश्चर्य होगा कि बांसुरी कितने कमाल की है। वैसे तो कई तरह की बांसुरियां होती है जो अलग अलग असर दिखाती है लेकिन बांस से बनी बांसुरी और चांदी की बांसुरी विशेष असर दिखाने वाली और कमाल की होती है।



- चांदी की बांसुरी अगर आपके घर में होगी तो उस घर में पैसों से जूड़ी कोई परेशानी नहीं होगी।

- सोने की बांसुरी घर में रखने से उस घर में लक्ष्मी रहने लग जाती है और ऐसे घर में पैसा ही पैसा होता है।

- बाँस के पौधे से बनी होने के कारण लकड़ी की बांसुरी शीघ्र उन्नतिदायक प्रभाव देती है अत: जिन व्यक्तियों को जीवन में पर्याप्त सफलता प्राप्त नहीं हो पा रही हो, अथवा शिक्षा, व्यवसाय या नौकरी में बाधा आ रही हो, तो उसे अपने बैडरूम के दरवाजे पर दो बाँसुरियों को लगाना चाहिए।

- यदि घर में बहुत ही अधिक वास्तु दोष है, या दो से अधिक दरवाजे एक सीध में है, तो घर के मुख्यद्वार के ऊपर दो बांसुरी लगाने से लाभ मिलता है तथा वास्तु दोष धीरे धीरे समाप्त होने लगता है।

- घर का कोई सदस्य अगर बहुत दिनों से बीमार हों या अकाल मृत्यु का डर या अन्य कोई स्वास्थ्य से सम्बन्धित बड़ी समस्या हो, तो प्रत्येक कमरें के बाहर और बीमार व्यक्ति के सिरहाने पर बांसुरी का प्रयोग करना चाहिए इससे बहुत जल्दी असर होने लगेगा।

- चांदी या बांस से बनी बांसुरी के बारे में एक जबरदस्त कमाल की बात ये है कि जब ऐसी बांसुरी को हाथ में लेकर हिलाया जाता है, तो बुरी आत्माएं दूर हो जाती है और जब इसे बजाया जाता है, तो ऐसी मान्यता है कि घरों में शुभ चुम्बकीय प्रवाह का प्रवेश होता है।



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Tuesday, March 6, 2012

सफलता के रंगो से भिगो देगी होली पर इन 2 मंत्रों से हनुमान पूजा








रुद्र अवतार श्री हनुमान इसी बात के भी आदर्श है कि जब-जब संकट आया, उन्होनें तुरंत सक्रियता दिखाई और सही निर्णय लिये। चाहे वह सीता की खोज हो, लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा करने की बात हो या राम-लक्ष्मण को अहिरावण से छुड़ाना।

हनुमान चरित्र की खूबी यह इशारा भी करती है कि इंसान में बल हो, बुद्धि भी हो, किंतु विवेक की कमी से निर्णय क्षमता कमजोर हो तो वक्त आने पर सही-गलत का फैसला न कर पाने और सक्रिय न होने से सारी शक्ति और ज्ञान बेकार हो जाता है और सफलता दूर रह जाती है।

श्री हनुमान की उपासना बल, बुद्धि और विद्या देने वाली ही मानी गई है। जोश, उत्साह और ऊर्जा बनाने रख सफलता की सीढिय़ां चढ़ते जाना है तो मंगलवार व हर माह की पूर्णिमा तिथि, जो हनुमान जन्म तिथि भी मानी गई है, पर श्री हनुमान उपासना के लिये बहुत ही मंगलकारी माना गया है।

इसी कड़ी में कल खासतौर पर उमंग और रंग भरे त्योहार फाल्गुन पूर्णिमा पर यहां बताए जा रहे हैं, मात्र 2 हनुमान मंत्र से हनुमान पूजा जीवन सफलता के रंगों से भिगोने में बहुत ही असरदार मानी गई है।

- स्नान के बाद श्री हनुमान की मूर्ति या प्रतिमा पर सिंदूर या लाल चंदन, लाल गुलाल, अष्टगंध, नारियल, फूल, नैवेद्य चढ़ाकर धूप व चमेली के तेल का दीप जलाकर नीचे लिखें दो मंत्रो का यथाशक्ति जप करें -

- ॐ लक्ष्मणप्राणदात्रे नम:।

- ॐ इन्द्रजित्प्रहितामोघब्रह्मास्त्र विनिवारकाय नम:।

- इन मंत्रों के स्मरण के बाद श्री हनुमान की दीप-कर्पूर आरती कर विघ्र, बाधा   को दूर कर सफल जीवन की कामना करें।


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Sunday, March 4, 2012

।।पति की शराब छुड़ाये आसन वैदिक टोटकों से।।

 
जिन महिलायों के पति अधिक शराब का सेवन करते हैं तथा अपनी आय का अधिक हिस्सा शराब पर लुटातें हैं,उनके लिए एक बहुत आची खबर है। हम आज लायें हैं बहुत से ख़ास और गुप्त वैदिक टोटके जिनकी मदद से न सिर्फ आप अपने पति की शराब छुड़ा पायेंगे वरन आपका जीवन "सुखी दाम्पत्य जीवन" बन जाएगा।
          प्रथम उपाय:-
  • किसी भी रविवार को एक शराब की उस ब्रांड की बोतल लाये, जो ब्रांड आपके पति सेवन करते हैं
  • रविवार को उस बोतल को किसी भी भैरव मंदिर पर अर्पित करें तथा पुन: कुछ रूपए देकर मंदिर के पुजारी से वह बोतल वापिस घर ले आयें
  • जब आपके पति सो रहें हो अथवा शराब के नशे में चूर होकर मदहोश हों तो आप उस पूरी बोतल को अपने पति के ऊपर से उसारते हुए २१ (Twenty One) बार "ॐ नमः भैरवाय" का जाप करें।
  • उसारे के बाद उस बोतल को शाम को किसी भी पीपल के वृक्ष के नीचे छोड़ आयें।
  • कुछ ही दिनों में आप चमत्कार देखेंगी।
          द्वितीय उपाय:-
  • शराब छुड़ाने का एक उपाए यह भी है की जिस दिन आपके पति शराब पीकर घर आयें और उनका जूता अपने आप ही उल्टा हो जाये
  • तो आप उस जूते के वजन के बराबर आटा लें।
  • और उसे लेकर उसकी बिना तवे तथा चकले की मदद से रोटी बनाकर कुत्ते को खिला दें।
  • कुछ ही समय में वह शराब से घृणा करने लगेंगे।
  • यदि ऐसा संजोग लगातार कम से कम तीन दिन हो जाये तो वह तुरंत ही शराब छोड़ देंगे।
          तृतीय उपाय:-
  • शराब छुडवाने का एक यह भी उपाय है की आप एक शराब की बोतल किसी शनिवार को पति के सो जाने के बाद उन पर से २१ बारवार लें।
  • उस बोतल के साथ किसी अन्य बोतल में आठ सो ग्राम सरसों का तेल लेकर आपस में मिला लें।
  • और किसी बहते हुए पानी के किनारे में उल्टा गाढ़ दें जिससे बोतलों के ऊपर से जल बहता रहे।
  • कुछ ही समय में वह शराब से घृणा करने लगेंगे।

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होली: हर मनोकामना पूरी करते हैं ये उपाय



वर्ष में जो दिन तांत्रिक क्रिया के लिए एवं सिद्धि अर्जन के लिए सबसे उपयुक्त माने गए है। उनमें एक दिन होली का भी है। फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को होलिका दहन होता है। होली की रात तंत्र क्रिया हेतु उपयोगी मानी गयी है। इस दिन केवल रात्रि जागरण से कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। होली की रात को किए जाने वाले कुछ तंत्र उपाय नीचे दिए गए हैं-

1-होली की रात को हनुमानजी को चोला चढ़ाकर आरती करें तथा चना एवं गुड़ का प्रसाद बांटें। ऐसा करने से शीघ्र ही नौकरी मिल जाती है।

2-होली की रात को ऊँ महालक्ष्म्यै नम: मंत्र का ग्यारह हजार बार जप करने से बेरोजगारी दूर होती है तथा व्यापार में लाभ होता है।

3-होली की रात को अनार या सेमर का बांदा लाकर प्रभावित व्यक्ति को दाएं बाजू पर बांधने से भूत-प्रेत बाधा दूर होती है।

4- होली की रात को आम का बांदा लाकर घर में रखने से घर परिवार में क्लेश नही होता तथा शांति रहती है।



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बच के रहें! आपको बरबादी की ओर ले जा सकता है ये नल



अगर आप बचना चाहते हैं या बरबाद नहीं होना चाहते तो, अपने घर के नल पर ध्यान दें। आपके घर में अगर किसी नल को बंद कर देने पर भी पानी लगातार बहता है या टपकता रहता है तो समझ लेना चाहिए कोई बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

यदि आपके घर के किचन या बाथरूम या अन्य किसी जगह नल से पानी टपकता है तो यह वास्तु के अनुसार अशुभ माना जाता है। व्यर्थ पानी बहना वैसे भी अच्छा नहीं माना जाता है। वास्तु और फेंगशुई में बताया गया है कि जिस घर में नल टपकता है वहां फिजूल खर्च अधिक होते हैं।

लेकिन किचन का नल अगर लगातार टपकता है तो वो ज्यादा बुरा माना जाता है। ये ही नल आपको बरबादी की ओर मोड़ सकता है क्योंकि किचन में अग्रि का वास होता है। जहां आग और पानी एक साथ हो जाएं वहां बीमारियां, परेशानियां और फिजूल खर्च शुरु हो जाता है। पानी के फिजुल बहने से वरूण देव का दोष लगता है। शास्त्रों में भी जल को भी देवता ही माना है, इसके बिना किसी भी प्राणी के लिए जीवन असंभव है। इसका अनादर करने पर देवताओं की कृपा प्राप्त नहीं होती है।

वास्तु के अनुसार नल से फिजूल पानी बहना घर में अशुभ प्रभाव को बढ़ाता है। ऐसे घर में पैसों की कमी रहती है।

ऐसा माना जाता है कि जिस प्रकार नल से व्यर्थ पानी टपकता रहता है ठीक उसी प्रकार घर से पैसा जाता है। फिजूल खर्च भी कई प्रकार के होते है जैसे घर में किसी सदस्य का बीमार रहना, कोई टूट-फूट होना, व्यापार में नुकसान या इसी तरह की अन्य हानि हो सकती है। साथ टपकता नल घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव भी बढ़ता है। इस तरह के खर्चों से बचने के लिए घर में यदि नल टपकता है तो उसे तुरंत ठीक करा लेना चाहिए।

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वास्तु के अनुसार ऐसा होना चाहिए आपका बेडरूम



मनुष्य अपने जीवन का एक-तिहाई हिस्सा सोने में गुजारते हैं और यदि औसतन आयु 70 वर्ष मान लें तो सोने में बीतने वाला कुल समय 23 साल से अधिक होगा। वास्तु शास्त्र के अनुसार यह तथ्य बेडरूम को और अधिक महत्वपूर्ण बना देता है क्योंकि शयन कक्ष की ऊर्जा हमें दिनभर प्रभावित करती है। यदि ऊर्जा का प्रवाह ठीक तरह से नहीं हो रहा हो तो नतीजतन हमारी शारीरिक ऊर्जा को नुकसान पहुंचेगा और इससे दु:स्वप्न, अनिद्रा और गहरी उदासी जैसी अनेक स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार बेडरूम की सबसे अच्छी स्थिति घर के दक्षिण-पश्चिम में होती है क्योंकि इसका संबंध पृथ्वी तत्व से होता है, जो स्थिर और निष्क्रिय है। यह नींद के लिए सबसे शांतिपूर्ण और आरामदायक स्थितियां प्रदान करता है। यदि दक्षिण-पश्चिम का कमरा बेडरूम के तौर पर नहीं बनाया जा सकता हो तो घर के पश्चिम या दक्षिण की तरफ भी बेडरूम बनाया जा सकता है। यदि आपका मकान बहुमंजिला हो तो बेडरूम भूतल (ग्राउंड फ्लोर) पर नहीं बनाना चाहिए क्योंकि यहां ऐसा लगेगा जैसे कोई आपकी गतिविधियों पर नजर रख रहा है। बड़े कमरों में से किसी एक कमरे को शयन कक्ष बनाना चाहिए।



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इस मंत्र से जानें कि क्या होता है सूर्य पूजा का सबसे बड़ा फायदा?








हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं की संख्या 33 करोड़ मानी गई है। असल में इस मान्यता के पीछे ईश्वर से जुड़ी वही आस्था और श्रद्धा है, जिसके तहत प्रकृति के कण-कण में भगवान का वास माना जाता है।

शास्त्रों में बताए पांच प्रमुख देवता यानी सूर्य, शिव, गणेश, शक्ति और विष्णु भी परब्रह्म माने जाकर अनंत, अनादी माने गए हैं। इस तरह देखा जाए तो ईश्वर अगणनीय यानी भगवान की गिनती संभव नहीं है। किंतु इस ईश्वर के ही अलग-अलग रूप और शक्तियां अलग-अलग देवताओं के रूप में पूजनीय है। सांसारिक जीवन से जुड़ी अनेक इच्छाओं को पूरा करने के लिये इन देवताओं को पूजा जाता है।

इसी कड़ी में वेदों में जगत की आत्मा, जीवनदाता व परब्रह्म पुकारे गए सूर्य  देव की रविवार या सप्तमी सहित विशेष घडिय़ों में पूजा व भक्ति खासतौर पर सांसारिक प्राणी को कौन-सा सबसे बड़ा लाभ देती है, यह शास्त्रों में बताए एक मंत्र से साफ होता है। यह मंत्र विशेष सूर्य के अलावा भी अलग-अलग देवी-देवताओं की उपासना किस गुण व शक्ति को देने वाली होती है, भी उजागर करता है।

आप भी यह मंत्र व अर्थ पढ़कर जानिए कि कामनापूर्ति के लिये की गई देव उपासना में रविवार को सूर्य के अलावा अन्य दिनों में किस देवता से क्या मांगना चाहिए?

आरोग्यं भास्करादिच्छ्रयमिच्छेद्भहतानाशवान।

ईश्वराज्ज्ञानमन्विच्छेन्मोक्षमिच्छेज्जनार्दनात्।।

दुर्गादिभिस्तथा रक्षां भैरवाद्यैस्तु दुर्गमम्।

विद्यासारं सरस्वत्या लक्ष्म्या चैश्र्ववर्धनम्।।

पार्वत्या चैव सौभाग्यं शच्या कल्याणसंततिम्।

स्कन्दात् प्रजाभिवृद्धिं च सर्वं चैव कल्याणसंततिम्।।

सरल अर्थ है - सूर्य से स्वास्थ्य, देवीशक्तियों से सुरक्षा, शिव से विवेक, ज्ञान अग्रिदेव से सुख-समृद्धि, सरस्वती से कला व विद्या, जनार्दन से मुक्ति, लक्ष्मी से धन-ऐश्वर्य,  भैरव से मुश्किलों से छुटकारा,  माता पार्वती से सौभाग्य, इन्द और शची से सुख, कार्तिकेय यानी स्कन्द से संतान सुख और भगवान श्री गणेश से सभी सांसारिक सुखों की प्रार्थना करने से मनोवांछित फल मिलता है।

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ऐसा होता है अपशकुन: बच के रहें अगर ऐसे इशारे देने लगे कौआ





 

सिर्फ पितरों के दिनों में ही कौओं पर ध्यान न दें रोजमर्रा में भी कौओं पर ध्यान देना चाहिए। अगर आपके साथ कुछ अशुभ होने वाला है तो कौए इशारे से बता देते हैं। कोओं को अशुभ इसलिए माना जाता है क्योंकि इनको मौत या कोई बड़ा संकट आने से पहले एहसास हो जाता है और ये संकेत दे देते हैं।



- यदि किसी व्यक्ति के ऊपर कौआ आकर बैठ जाए तो उसे धन व सम्मान की हानि होती है। यदि किसी महिला के सिर पर कौआ बैठता है तो उसके पति को मौत के समा...न गंभीर संकट का सामना करना पड़ता है।

- किसी के घर पर कौओं का झुण्ड आकर शौर मचाए तो मालिक पर कई संकट एक साथ आ जाते हैं।

- यदि बहुत से कौए किसी नगर या गांव में इक_े होकर शौर करें तो उस नगर या गांव पर भारी विपत्ति आती है।

- यदि उड़ता हुआ कौआ किसी के सिर पर बीट करे तो उसे रोग व संताप होता है। और यदि हड्डी का टुकड़ा गिरा दे तो उस व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।

- यदि कौआ पंख फडफड़़ाता हुआ उग्र स्वर में बोलता है तो यह अशुभ संकेत है।

- यदि कौआ ऊपर मुंह करके पंखों को फडफड़़ाता है और कर्कश स्वर में आवाज करता है तो वह मृत्यु की सूचना देता है।

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