रामायण प्रमुख हिन्दू धर्मग्रंथ है। रामायण में भगवान श्री राम का मर्यादित चरित्र व्यावहारिक जीवन के अनमोल सूत्रों को भी सिखाता है। श्रीराम ही नहीं रामायण में बताया हर पात्र मानवीय जीवन, स्वभाव और गुणों से जुड़े कोई न कोई संदेश देता है। जिनके द्वारा कोई भी इंसान जीवन में संयम, संतुलन और अनुशासन लाकर सफलता व तरक्की पा सकता है।
यही कारण है कि धर्म में रूचि रखने वाले और आस्थावान अनेक लोग रामायण को पढऩा और जानना चाहते हैं। किंतु समय के अभाव के चलते वे रामकथा को सुनने या पढऩे से वंचित रहते हैं। इसी जिज्ञासा को शांत करने के लिए हम यहां बता रहे हैं मात्र 9 तस्वीरों के माध्यम से शास्त्रों में बताए एक श्लोक पर आधारित रामायण, जो एक श्लोकी रामायण के रूप में जानी जाती है।
यहां बताई जा रही एक श्लोकी रामायण को प्रतिदिन राम दरबार जिनमें राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान आदि शामिल हों, का ध्यान कर पढऩा भी आपके जीवन से भय, चिंता और परेशानियों को दूर करने वाली मानी गई है -
आदौ राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनं
वैदेही हरणं, जटायु मरणं, सुग्रीव संभाषणं
बाली निर्दलं, समुन्द्र तरणं, लंकापुरी दाहनं
पश्चाद्रावण-कुम्भकरण हननं, एतद्धि रामायणं
अगर आपकी धर्म से जुड़ी कोई जिज्ञासा हो या कोई जानकारी चाहते हैं तो इस आर्टिकल पर टिप्पणी के साथ नीचे कमेंट बाक्स के जरिए हमें भेजें।
यही कारण है कि धर्म में रूचि रखने वाले और आस्थावान अनेक लोग रामायण को पढऩा और जानना चाहते हैं। किंतु समय के अभाव के चलते वे रामकथा को सुनने या पढऩे से वंचित रहते हैं। इसी जिज्ञासा को शांत करने के लिए हम यहां बता रहे हैं मात्र 9 तस्वीरों के माध्यम से शास्त्रों में बताए एक श्लोक पर आधारित रामायण, जो एक श्लोकी रामायण के रूप में जानी जाती है।
यहां बताई जा रही एक श्लोकी रामायण को प्रतिदिन राम दरबार जिनमें राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान आदि शामिल हों, का ध्यान कर पढऩा भी आपके जीवन से भय, चिंता और परेशानियों को दूर करने वाली मानी गई है -
आदौ राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनं
वैदेही हरणं, जटायु मरणं, सुग्रीव संभाषणं
बाली निर्दलं, समुन्द्र तरणं, लंकापुरी दाहनं
पश्चाद्रावण-कुम्भकरण हननं, एतद्धि रामायणं
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भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी को अयोध्या में रघुवंशी राजा दशरथ के यहां माता कौशल्या के गर्भ से हुआ।
अयोध्या की रानी कैकयी द्वारा राजा दशरथ से मांगे वर के कारण राम को वनवास हुआ। उनके साथ पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण भी वन गए।
रावण ने सीता हरण के इरादे से राक्षस मारीच को भेजा, जिसने स्वर्णमृग यानी हिरण बन सीता को मोहित किया। राम स्वर्णमृग पकडऩे गए।
इस अवसर का लाभ उठाकर रावण द्वारा सीता हरण। सीता की रक्षा में पक्षीराज जटायु ने प्राण त्यागे।
सीता खोज में राम की सुग्रीव से भेंट।
सुग्रीव को अन्याय और दु:खों से मुक्ति दिलाने के लिए श्री राम द्वारा उसके भाई बाली का वध।
सीता की खोज में बलवीर हनुमान द्वारा समुद्र पार कर लंका प्रवेश। सीता की खोज की और लंका दहन कर रावण का दंभ तोड़ा।
श्री राम द्वारा लंका पर चढ़ाई के लिए समुद्र पर सेतु का निर्माण।
लंका पंहुचकर श्रीराम द्वारा रावण और उसके भाई कुम्भकरण आदि का अंत किया। सीता को लेकर अयोध्या लौटे।
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