हिन्दू धर्मशास्त्रों के मुताबिक बिल्वपत्र में शिव का वास माना गया है। बिल्वपत्र से शिव की पूजा भी पापनाशक मानी गई है। वहीं एक पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक बिल्वपत्र की पूजा लक्ष्मी कृपा से ऐश्वर्य और धनसंपन्न बनाने वाली भी है। क्योंकि माना जाता है कि जब समुद्र मंथन से देवी लक्ष्मी प्रकट हुई तो लक्ष्मी का स्वामी बनने को लेकर देव-दानवों में संघर्ष हुआ। उस दौरान देवी ने बिल्वपत्र वृक्ष में समय बिताया और बाद में श्रीहरि विष्णु को अपना स्वामी चुना। इसलिए बिल्वपत्र श्रीवृक्ष के नाम से भी प्रसिद्ध हुआ।
यही कारण है कि देवी व शिव उपासना के विशेष दिनों नवमी व चतुर्दशी तिथि पर विशेष मंत्रों के साथ बिल्वपत्र पूजा पाप व दरिद्रता का अंत कर वैभवशाली बनाने वाली बताई गई है। यह पूजा लक्ष्मी कृपा की कामना से हर रोज भी शुभ है।
जानते हैं विशेष मंत्र के साथ बिल्वपत्र पूजा का आसान उपाय-
- सुबह स्नान के बाद लाल या सफेद वस्त्र पहन बिल्वपत्र के वृक्ष की पूजा में चंदन, फूल व फूल माला, फल, वस्त्र, तिल, अनाज अर्पित करें। धूप व दीप जलाकर नीचे लिखा मंत्र बोल बिल्वपत्र वृक्ष की पूजा करें -
श्रीनिवास नमस्तेस्तु श्रीवृक्ष शिववल्लभ।
ममाभिलषितं कृत्वा सर्वविघ्रहरो भव।।
- मंत्र पूजा के बाद लक्ष्मी कृपा की कामना के साथ शिव आरती या लक्ष्मी आरती भी करें और बिल्वपत्र की परिक्रमा करें। यथासंभव इस दिन बिना नमक का भोजन कर मौन व्रत रखें।
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