Saturday, April 30, 2011

जानिए, पितृदोष से क्या होता है? यह कैसे दूर होगा?



ज्योतिष के अनुसार कुंडली में कई प्रकार दोष बताए गए हैं, जैसे कालसर्प योग, मंगल, पितृ दोष आदि। इनमें से पितृदोष का हमारे सभी कार्यों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। अधिक मेहनत के बाद भी सफलता प्राप्ति में कई अड़चनें आती हैं। परिवार में कई प्रकार की समस्याएं चलती रहती हैं।

वास्तव में पितृदोष का अर्थ यही होता है यदि हमारे पितृ यानि पितर देवता संतुष्ट नहीं हैं तो इस तरह की परेशानियां जीवन में आती हैं। इन्हें तृप्त करने के लिए कई प्रकार के विधि-विधान बताए गए हैं लेकिन सबसे सरल और कारगर उपाय है गरीब बच्चों को मिठाई खिलाना।

छोटे गरीब बच्चों को मिठाई खिलाना, उन्हें खिलौने देकर खुश करने से हमारा पुण्य तो बढ़ता है साथ ही पितृदोष का प्रभाव भी कम होता है। गरीब बच्चों की दुआं के प्रभाव से हमारे सभी दुख, दर्द और क्लेश दूर होते हैं। पितृदोष दूर करने का यह सबसे अच्छा उपाय बताया गया है।

एक ओर इस पुण्य कर्म से गरीब बच्चों को खाना मिलता है, खुशी मिलती है वहीं दूसरी ओर हमारे कई बिगड़े कार्य स्वत: ही पूर्ण हो जाते हैं, घर-परिवार के सदस्यों को सफलता मिलती हैं, प्रसन्नता का वातावरण बनता है। इसी वजह से ज्योतिष के अनुसार पितृदोष दूर करने के लिए गरीब बच्चों को मिठाई खिलाने और उन्हें खिलौने देने का उपाय बताया गया है।

Varinder Kumar
ASTROLOGER
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01614656864
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email :sun_astro37@yahoo.com

इस उपाय से टेंशन को कहें अलविदा



वर्तमान समय में हर कोई चिंताग्रस्त नजर आता है। किसी को नौकरी की चिंता है तो किसी को परिवार की। किसी को पैसे की चिंता है तो किसी को बेटे की। यानि हर व्यक्ति को किसी न किसी बात की चिंता अवश्य है। यंत्र विज्ञान के अंतर्गत एक ऐसे यंत्र के बारे में बताया गया है जिसका प्रतिदिन पूजन करने से हर प्रकार की चिंता दूर हो जाती है। इस यंत्र को चिंतामणी यंत्र कहते हैं। इसे प्रतिष्ठित कर पूजा भी का जा सकती है साथ ही इसे धारण भी किया जा सकता है।

इस यंत्र को बनाने व धारण करने की विधि इस प्रकार है:- किसी भी शुभ मुहूर्त में दिए यंत्र को भोजपत्र पर अनार की कलम का उपयोग करते हुए अष्टगंध से बनाएं। अब इस यंत्र को ताबीज में डालकर गले में धारण कर लें। इससे कुछ ही समय में आपकी सभी चिंताएं एवं परेशानियों का नाश हो जाएगा।




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राहु का बुरा प्रभाव दूर करने के उपाय




जन्म कुंडली राहु-केतु को छाया ग्रह माना जाता है परंतु फिर भी यह दोनों ग्रह व्यक्ति की जीवन दिशा बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। राहु की महादशा में गरीब भी किसी राजा के समान सुख प्राप्त करने लगता है और राहु विपरित होने पर रातोरात एक राजा भी रोड पर आ जाता है।

यदि आपकी कुंडली में राहु अशुभ है और इसकी वजह से आपके सारे काम बिगड़ जाते हैं तो यह उपाय करें:

- प्रति सोमवार भगवान शिव का जलाभिषेक या रुद्राभिषेक अवश्य करें।

- लोहे के बर्तन में खाना खाएं।

- गरीबों को कंबल, खाना, अनाज आदि उनके जरूरत की वस्तुएं दान करें।

- राहु से संबंधी वस्तुएं दान में स्वीकार ना करें।

- सोमवार या शनिवार का उपवास रखें।

- शिवलिंग की नित्य नियम से पूजा करें, बिल्व पत्र, धतुरा आदि शिव को प्रिय वस्तुएं अर्पित करें।

- राहु को काला रंग अतिप्रिय है, काले रंग से वह और अधिक सक्रीय हो जाता है। अत: अपने आसपास से काले रंग को पूर्णतया दूर कर दें।

- मछलियों को आटे की छोटी-छोटी गोलियां बनाकर खिलाएं।

- अपने विश्वासपात्र ज्योतिषी से परामर्श लें।


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अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम करता है यह रत्न



ज्योतिष के अनुसार, सौर मण्डल के क्रूर व अनिष्टकारी ग्रह अपनी गति बदलते रहते हैं। इनके अशुभ प्रभाव से मनुष्य के स्वास्थ्य, बुद्धि और जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इंसान के जीवन में शुभ-लाभ मुनाफा या हानि सब इन्हीं ग्रहों के प्रभाव के कारण होता है। ऐसी स्थिति कब आएगी जब हम पर ग्रह प्रभाव डालेगा यह हम हर वक्त नहीं जान सकते हैं, इसी परेशानी से बचने के लिए नवरत्न धारण किये जाते है।

नवरत्न ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर करता है। कभी-कभी किसी कुडंली में ग्रहों की दशा ऐसी बन जाती है कि निर्णय लेना कठिन हो जाता है कि कौन सा रत्न पहनना शुभकारी है। ऐसी स्थिति में नवरत्न को कोई भी धारण कर सकता है, यह हर राशि वाले को सामान लाभदायक होता है। हर हाल में यह रत्न धारक को फायदा पहुंचाते हैं, कभी भी नुकसान नहीं देते हैं।

नवरत्न सोने में या चांदी में धारण करना चाहिए। नवरत्न धारण करने से सुख-सम्पदा, मान-प्रतिष्ठा, यश, धन, संतान, सौभाग्य व परिवारिक, मानसिक सुख सब कुछ भरपूर मात्रा में प्राप्त होता है। इसे धारण करने से समस्त प्रकार के अनिष्ट दूर होते है। रोगों में लाभ मिलता है।





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Friday, April 29, 2011

सिर्फ इन 9 चित्रों में समाई है संपूर्ण रामायण!!


रामायण प्रमुख हिन्दू धर्मग्रंथ है। रामायण में भगवान श्री राम का मर्यादित चरित्र  व्यावहारिक जीवन के अनमोल सूत्रों को भी सिखाता है। श्रीराम ही नहीं रामायण में बताया हर पात्र मानवीय जीवन, स्वभाव और गुणों से जुड़े कोई न कोई संदेश देता है। जिनके द्वारा कोई भी इंसान जीवन में संयम, संतुलन और अनुशासन लाकर सफलता व तरक्की पा सकता है।

यही कारण है कि धर्म में रूचि रखने वाले और आस्थावान अनेक लोग रामायण को पढऩा और जानना चाहते हैं। किंतु समय के अभाव के चलते वे रामकथा को सुनने या पढऩे से वंचित रहते हैं। इसी जिज्ञासा को शांत करने के लिए हम यहां बता रहे हैं मात्र 9 तस्वीरों के माध्यम से शास्त्रों में बताए एक श्लोक पर आधारित रामायण, जो एक श्लोकी रामायण के रूप में जानी जाती है।

यहां बताई जा रही एक श्लोकी रामायण को प्रतिदिन राम दरबार जिनमें राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान आदि शामिल हों, का ध्यान कर पढऩा भी आपके जीवन से भय, चिंता और परेशानियों को दूर करने वाली मानी गई है -

आदौ राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनं
वैदेही हरणं, जटायु मरणं, सुग्रीव संभाषणं
बाली निर्दलं, समुन्द्र तरणं, लंकापुरी दाहनं
पश्चाद्रावण-कुम्भकरण हननं, एतद्धि रामायणं
अगर आपकी धर्म से जुड़ी कोई जिज्ञासा हो या कोई जानकारी चाहते हैं तो इस आर्टिकल पर टिप्पणी के साथ नीचे कमेंट बाक्स के जरिए हमें भेजें।


 

भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी को अयोध्या में रघुवंशी राजा दशरथ के यहां माता कौशल्या के गर्भ से हुआ।
 

अयोध्या की रानी कैकयी द्वारा राजा दशरथ से मांगे वर के कारण राम को वनवास हुआ। उनके साथ पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण भी वन गए।
 

रावण ने सीता हरण के इरादे से राक्षस मारीच को भेजा, जिसने स्वर्णमृग यानी हिरण बन सीता को मोहित किया। राम स्वर्णमृग पकडऩे गए।
 
इस अवसर का लाभ उठाकर रावण द्वारा सीता हरण। सीता की रक्षा में पक्षीराज जटायु ने प्राण त्यागे।
 
सीता खोज में राम की सुग्रीव से भेंट।
 

सुग्रीव को अन्याय और दु:खों से मुक्ति दिलाने के लिए श्री राम द्वारा उसके भाई बाली का वध।
 

सीता की खोज में बलवीर हनुमान द्वारा समुद्र पार कर लंका प्रवेश। सीता की खोज की और लंका दहन कर रावण का दंभ तोड़ा।
 

श्री राम द्वारा लंका पर चढ़ाई के लिए समुद्र पर सेतु का निर्माण।
 

लंका पंहुचकर श्रीराम द्वारा रावण और उसके भाई कुम्भकरण आदि का अंत किया। सीता को लेकर अयोध्या लौटे।

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