ज्योतिष के अनुसार, सौर मण्डल के क्रूर व अनिष्टकारी ग्रह अपनी गति बदलते रहते हैं। इनके अशुभ प्रभाव से मनुष्य के स्वास्थ्य, बुद्धि और जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इंसान के जीवन में शुभ-लाभ मुनाफा या हानि सब इन्हीं ग्रहों के प्रभाव के कारण होता है। ऐसी स्थिति कब आएगी जब हम पर ग्रह प्रभाव डालेगा यह हम हर वक्त नहीं जान सकते हैं, इसी परेशानी से बचने के लिए नवरत्न धारण किये जाते है।
नवरत्न ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर करता है। कभी-कभी किसी कुडंली में ग्रहों की दशा ऐसी बन जाती है कि निर्णय लेना कठिन हो जाता है कि कौन सा रत्न पहनना शुभकारी है। ऐसी स्थिति में नवरत्न को कोई भी धारण कर सकता है, यह हर राशि वाले को सामान लाभदायक होता है। हर हाल में यह रत्न धारक को फायदा पहुंचाते हैं, कभी भी नुकसान नहीं देते हैं।
नवरत्न सोने में या चांदी में धारण करना चाहिए। नवरत्न धारण करने से सुख-सम्पदा, मान-प्रतिष्ठा, यश, धन, संतान, सौभाग्य व परिवारिक, मानसिक सुख सब कुछ भरपूर मात्रा में प्राप्त होता है। इसे धारण करने से समस्त प्रकार के अनिष्ट दूर होते है। रोगों में लाभ मिलता है।
नवरत्न ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर करता है। कभी-कभी किसी कुडंली में ग्रहों की दशा ऐसी बन जाती है कि निर्णय लेना कठिन हो जाता है कि कौन सा रत्न पहनना शुभकारी है। ऐसी स्थिति में नवरत्न को कोई भी धारण कर सकता है, यह हर राशि वाले को सामान लाभदायक होता है। हर हाल में यह रत्न धारक को फायदा पहुंचाते हैं, कभी भी नुकसान नहीं देते हैं।
नवरत्न सोने में या चांदी में धारण करना चाहिए। नवरत्न धारण करने से सुख-सम्पदा, मान-प्रतिष्ठा, यश, धन, संतान, सौभाग्य व परिवारिक, मानसिक सुख सब कुछ भरपूर मात्रा में प्राप्त होता है। इसे धारण करने से समस्त प्रकार के अनिष्ट दूर होते है। रोगों में लाभ मिलता है।
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