Sunday, May 1, 2011

राशि के अनुसार करें मंत्र जप



भारतीय ज्योतिष के अनुसार सभी लोगों को 12 राशियों में बांटा गया है। हर राशि की अपनी कुछ विशेषता होती है। उसी के अनुसार उस राशि के स्वामी व मंत्र भी होते हैं। प्रत्येक राशि के व्यक्ति को उस विशिष्ठ मंत्र से ही सफलता मिलती है। राशि के अनुसार आपको किस देवता के मंत्र का जप करना चाहिए। इसके बारे में नीचे जानकारी दी गई है-

मेष: मेष राशि का स्वामी मंगल है। इस राशि के लोगों को ऊँ क्रां, क्रीं, क्रौं स: भौमाय नम: मंत्र का जप करना चाहिए।

वृष: वृषभ राशि का स्वामी शुक्र है। इस राशि के लोगों को ऊँ द्रां, द्रीं, द्रौं स: शुक्राय नम: मंत्र का जप करना शुभ होता है।

मिथुन: इस राशि का स्वामी बुध है। मंत्र: - ऊँ ब्रां, ब्रीं, ब्रौं, स: बुधाय नम:।

कर्क: इस राशि का स्वामी चंद्र है। मंत्र:- ऊँ श्रां, श्रीं, श्रौं स: सोमाय नम:।

सिंह: इस राशि का स्वामी सूर्य है। मंत्र- ऊँ ह्रां, ह्रीं, ह्रौं स: सूर्याय नम:।

कन्या: इस राशि का स्वामी बुध है। मंत्र ऊँ ब्रां, ब्रीं, ब्रौं, स: बुधाय नम:।

तुला- इस राशि का स्वामी शुक्र है। मंत्र- ऊँ द्रां, द्रीं, द्रौं स: शुक्राय नम:।

वृश्चिक- इस राशि का स्वामी मंगल है। मंत्र- ऊँ क्रां, क्रीं, क्रौं स: भौमाय नम:।

धनु: इस राशि के स्वामी देवगुरु बृहस्पति हैं। मंत्र- ऊँ ग्रां, ग्रीं, ग्रौं स: गुरवे नम:।

मकर: मकर राशि का स्वामी शनि है। मंत्र- ऊँ प्रां, प्रीं, प्रौं, स: शनैश्चराय नम:।

कुंभ: इस राशि के स्वामी शनि है। मंत्र- ऊँ प्रां, प्रीं, प्रौं, स: शनैश्चराय नम:।

मीन: इस राशि का स्वामी देवगुरु बृहस्पति हैं। मंत्र-ऊँ ग्रां, ग्रीं, ग्रौं स: गुरवे नम:


Varinder Kumar
ASTROLOGER
Shop No 74 Ghumar Mandi
Ludhiana Punjab India
01614656864
09915081311
email :sun_astro37@yahoo.com

जब किस्मत न दे साथ, करें इस मंत्र का जप



मंत्रों में अपार शक्ति होती है। मंत्र के बल पर आप कुछ भी पा सकते हैं यहां तक कि अपना बिगड़ा भाग्य भी संवार सकते हैं। मंत्रों के शक्ति से जीवन की हर परेशानी का सामना आसानी से किया जा सकता है। ऐसा ही एक मंत्र नीचे लिखा है यदि विधि पूर्वक इस मंत्र का प्रतिदिन जप किया जाए तो बिगड़ा भाग्य भी संवर सकता है साथ ही हर मनोकामना भी पूरी होती है।

मंत्र

ऊँ ह्रीं घृणीं सूर्य आदित्याय नम:



जप विधि

- रोज सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि से निवृत होने के बाद मन ही मन भगवान सूर्य का स्मरण करें।

- उसके बाद सबसे पहले सूर्य की ओर मुंह कर सूर्य नमस्कार करें।

- एक तांबे के पात्र में पुष्पों के साथ तीन बार सूर्य को अघ्र्य अर्पित करें।

- फिर इस मंत्र का जितनी बार हो सके उतनी बार जप करें।

- जप लाल चंदन की माला से करें तथा कुश के आसन पर बैठें तो मंत्र शीघ्र ही सिद्ध हो जाता है।




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