Wednesday, June 15, 2011

16 जून: आज का पंचांग, क्या है आज ग्रह स्थिति, कैसा रहेगा राशिफल और कारोबार?



जानिए: आज का पंचाग, किस दिशा में यात्रा करें? चोरी गई वस्तु कहां मिलेगी? आज कौन सा ग्रह, किस राशि में है? आज जिनका जन्मदिन है उनका वार्षिक राशिफल और कैसा रहेगा आज का कारोबार?

16 जून: गुरुवार, रवि उत्तरायन, आषाढ़ कृष्णपक्ष, शोभन नाम संवत्सर, संवत् 2068, ग्रीष्म ऋतु।

तिथि- प्रतिपदा,

नक्षत्र- मूल

सूर्योदय- 05:45

सूर्यास्त- 07:08

अक्षांक्ष- 23:11 उत्तर

देशांश- 75:43 पूर्व

ग्रह स्थिति- चंद्र धनु में, सूर्य मिथुन में, मंगल वृष में, बुध मिथुन में, गुरू मेष में, शुक्र वृष में, शनि कन्या राशि में, राहु वृश्चिक में और केतु वृष राशि में स्थित है।

किस दिशा में यात्रा- जहां तक संभव हो उत्तर दिशा, में यात्रा न करें। यदि आवश्यक हो तो दही का सेवन करके यात्रा करें।

चोरी गई वस्तु- उत्तर दिशा में चोरी गई समझें, मिलना संभव नही है।

कैसा रहेगा साल-

आज जन्म दिन वाला जातक का यह वर्ष सामान्य से ज्यादा श्रेष्ठ होगा। धन के मामलों में एक से अधिक जगहों से आय की प्राप्ति होगी। कई बार सुखद यात्राओं का योग बनेगा। आपको सामाज के कार्यक्रमों में मान-सम्मान की प्राप्ति होगी। बेरोजगारों को अभी और इंतजार करना होगा। विदेश जाने में भी अड़चने फिलहाल कम होने के आसार नहीं है। वर्तमान में नौकरी करने वालों के कार्य से अधिकारी प्रसन्न होंगे। व्यापार के विस्तार होगा।

आज का कारोबार-

तीक्ष्ण दारुण नक्षत्र में व्याापार के लिए आज का दिन बहुत ही अच्छा होगा। कारोबार में तेजी रहेगी। आवश्यक वस्तुओं के दामों के भावों में तेजी होने के बावजूद खरीददारी बढ़ेगी। कीमती धातुओं के भावों में वृद्धि होगी। शेयर के दामों में भी इजाफा होगा। नए कारोबार के लिए दिन अच्छा होगा। इलैक्ट्रानिक्स के भावों में भी वृद्धि के संकेत है।




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इसलिए गर्भवती स्त्री को ग्रहण में बाहर नहीं निकलना चाहिए..



सामान्यत: ऐसी मान्यता है कि ग्रहण के समय किसी भी गर्भवती महिला को अकेले घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। पुराने समय में इस बात का सख्ती से पालन कराया जाता था और ग्रहण के समय खासतौर पर महिलाओं को घर से बाहर निकलने से मना किया जाता था।

लुधियाना के ज्योतिषाचार्य Varinder Kumar JI  के अनुसार   ग्रहण के समय नकारात्मक शक्तियां अधिक सक्रिय रहती हैं जो कि गर्भवती स्त्री को बहुत ही जल्द अपने प्रभाव में ले लेती हैं। जिससे गर्भ में पल रहे शिशु पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। यहां नकारात्मक शक्ति से अभिप्राय है कि आसुरी प्रवृत्तियां। ग्रहण के समय में बुरी शक्तियां अपने पूरे बल में होती हैं। यह शक्तियां को लड़कियां से बहुत ही जल्द प्रभावित होती हैं। जिससे वे उन्हें अपने प्रभाव में लेने की कोशिश करती हैं। इन शक्तियों के प्रभाव में आने के बाद गर्भवती स्त्री का मानसिक स्तर व्यवस्थित नहीं रह पाता और उनके पागल होने का खतरा बढ़ जाता है।विज्ञान के अनुसार चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्र न दिखाई देने के कारण हमारे शरीर पर भी प्रभाव पड़ता है। हमारे शरीर में 70 प्रतिशत पानी है जिसे चंद्रमा सीधे-सीधे प्रभावित करता है।

ज्योतिष में चंद्र को मन का देवता माना गया है। ग्रहण के समय चंद्र दिखाई नहीं ऐसे में जो लोग अति भावुक होते हैं उन पर इस बात का सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है। गर्भवती स्त्रियां उस समय में बेहद संवेदनशील और कोमल हो जाती हैं। छोटी-छोटी बातों का भी उन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जब चंद्र नहीं दिखाई देता तो ऐसे में हमारे शरीर के पानी में हलचल अधिक बढ़ जाती है। जो व्यक्ति नकारात्मक सोच वाला होता है उसे नकारात्मक शक्ति अपने प्रभाव में ले लेती है। इन्हीं कारणों से ग्रहण काल में गर्भवती स्त्रियों को अकेले बाहर जाने के लिए मना किया जाता था। चंद्रमा हमारे शरीर के जल को किस प्रकार प्रभावित करता है इस बात का प्रमाण है समुद्र का ज्वारभाटा। पूर्णिमा और अमावस के दिन ही समुद्र में सबसे अधिक हलचल दिखाई देती है क्योंकि चंद्रमा पानी को अपनी ओर आकर्षित करता है।




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