हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं की
संख्या 33 करोड़ मानी गई है। असल में इस मान्यता के पीछे ईश्वर से जुड़ी
वही आस्था और श्रद्धा है, जिसके तहत प्रकृति के कण-कण में भगवान का वास
माना जाता है।
शास्त्रों में बताए पांच प्रमुख देवता यानी सूर्य, शिव, गणेश, शक्ति और विष्णु भी परब्रह्म माने जाकर अनंत, अनादी माने गए हैं। इस तरह देखा जाए तो ईश्वर अगणनीय यानी भगवान की गिनती संभव नहीं है। किंतु इस ईश्वर के ही अलग-अलग रूप और शक्तियां अलग-अलग देवताओं के रूप में पूजनीय है। सांसारिक जीवन से जुड़ी अनेक इच्छाओं को पूरा करने के लिये इन देवताओं को पूजा जाता है।
इसी कड़ी में वेदों में जगत की आत्मा, जीवनदाता व परब्रह्म पुकारे गए सूर्य देव की रविवार या सप्तमी सहित विशेष घडिय़ों में पूजा व भक्ति खासतौर पर सांसारिक प्राणी को कौन-सा सबसे बड़ा लाभ देती है, यह शास्त्रों में बताए एक मंत्र से साफ होता है। यह मंत्र विशेष सूर्य के अलावा भी अलग-अलग देवी-देवताओं की उपासना किस गुण व शक्ति को देने वाली होती है, भी उजागर करता है।
आप भी यह मंत्र व अर्थ पढ़कर जानिए कि कामनापूर्ति के लिये की गई देव उपासना में रविवार को सूर्य के अलावा अन्य दिनों में किस देवता से क्या मांगना चाहिए?
आरोग्यं भास्करादिच्छ्रयमिच्छेद्भहतानाशवान।
ईश्वराज्ज्ञानमन्विच्छेन्मोक्षमिच्छेज्जनार्दनात्।।
दुर्गादिभिस्तथा रक्षां भैरवाद्यैस्तु दुर्गमम्।
विद्यासारं सरस्वत्या लक्ष्म्या चैश्र्ववर्धनम्।।
पार्वत्या चैव सौभाग्यं शच्या कल्याणसंततिम्।
स्कन्दात् प्रजाभिवृद्धिं च सर्वं चैव कल्याणसंततिम्।।
सरल अर्थ है - सूर्य से स्वास्थ्य, देवीशक्तियों से सुरक्षा, शिव से विवेक, ज्ञान अग्रिदेव से सुख-समृद्धि, सरस्वती से कला व विद्या, जनार्दन से मुक्ति, लक्ष्मी से धन-ऐश्वर्य, भैरव से मुश्किलों से छुटकारा, माता पार्वती से सौभाग्य, इन्द और शची से सुख, कार्तिकेय यानी स्कन्द से संतान सुख और भगवान श्री गणेश से सभी सांसारिक सुखों की प्रार्थना करने से मनोवांछित फल मिलता है।
शास्त्रों में बताए पांच प्रमुख देवता यानी सूर्य, शिव, गणेश, शक्ति और विष्णु भी परब्रह्म माने जाकर अनंत, अनादी माने गए हैं। इस तरह देखा जाए तो ईश्वर अगणनीय यानी भगवान की गिनती संभव नहीं है। किंतु इस ईश्वर के ही अलग-अलग रूप और शक्तियां अलग-अलग देवताओं के रूप में पूजनीय है। सांसारिक जीवन से जुड़ी अनेक इच्छाओं को पूरा करने के लिये इन देवताओं को पूजा जाता है।
इसी कड़ी में वेदों में जगत की आत्मा, जीवनदाता व परब्रह्म पुकारे गए सूर्य देव की रविवार या सप्तमी सहित विशेष घडिय़ों में पूजा व भक्ति खासतौर पर सांसारिक प्राणी को कौन-सा सबसे बड़ा लाभ देती है, यह शास्त्रों में बताए एक मंत्र से साफ होता है। यह मंत्र विशेष सूर्य के अलावा भी अलग-अलग देवी-देवताओं की उपासना किस गुण व शक्ति को देने वाली होती है, भी उजागर करता है।
आप भी यह मंत्र व अर्थ पढ़कर जानिए कि कामनापूर्ति के लिये की गई देव उपासना में रविवार को सूर्य के अलावा अन्य दिनों में किस देवता से क्या मांगना चाहिए?
आरोग्यं भास्करादिच्छ्रयमिच्छेद्भहतानाशवान।
ईश्वराज्ज्ञानमन्विच्छेन्मोक्षमिच्छेज्जनार्दनात्।।
दुर्गादिभिस्तथा रक्षां भैरवाद्यैस्तु दुर्गमम्।
विद्यासारं सरस्वत्या लक्ष्म्या चैश्र्ववर्धनम्।।
पार्वत्या चैव सौभाग्यं शच्या कल्याणसंततिम्।
स्कन्दात् प्रजाभिवृद्धिं च सर्वं चैव कल्याणसंततिम्।।
सरल अर्थ है - सूर्य से स्वास्थ्य, देवीशक्तियों से सुरक्षा, शिव से विवेक, ज्ञान अग्रिदेव से सुख-समृद्धि, सरस्वती से कला व विद्या, जनार्दन से मुक्ति, लक्ष्मी से धन-ऐश्वर्य, भैरव से मुश्किलों से छुटकारा, माता पार्वती से सौभाग्य, इन्द और शची से सुख, कार्तिकेय यानी स्कन्द से संतान सुख और भगवान श्री गणेश से सभी सांसारिक सुखों की प्रार्थना करने से मनोवांछित फल मिलता है।
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