मनुष्य अपने जीवन का एक-तिहाई
हिस्सा सोने में गुजारते हैं और यदि औसतन आयु 70 वर्ष मान लें तो सोने में
बीतने वाला कुल समय 23 साल से अधिक होगा। वास्तु शास्त्र के अनुसार यह तथ्य
बेडरूम को और अधिक महत्वपूर्ण बना देता है क्योंकि शयन कक्ष की ऊर्जा हमें
दिनभर प्रभावित करती है। यदि ऊर्जा का प्रवाह ठीक तरह से नहीं हो रहा हो
तो नतीजतन हमारी शारीरिक ऊर्जा को नुकसान पहुंचेगा और इससे दु:स्वप्न,
अनिद्रा और गहरी उदासी जैसी अनेक स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार बेडरूम की सबसे अच्छी स्थिति घर के दक्षिण-पश्चिम में होती है क्योंकि इसका संबंध पृथ्वी तत्व से होता है, जो स्थिर और निष्क्रिय है। यह नींद के लिए सबसे शांतिपूर्ण और आरामदायक स्थितियां प्रदान करता है। यदि दक्षिण-पश्चिम का कमरा बेडरूम के तौर पर नहीं बनाया जा सकता हो तो घर के पश्चिम या दक्षिण की तरफ भी बेडरूम बनाया जा सकता है। यदि आपका मकान बहुमंजिला हो तो बेडरूम भूतल (ग्राउंड फ्लोर) पर नहीं बनाना चाहिए क्योंकि यहां ऐसा लगेगा जैसे कोई आपकी गतिविधियों पर नजर रख रहा है। बड़े कमरों में से किसी एक कमरे को शयन कक्ष बनाना चाहिए।
वास्तु शास्त्र के अनुसार बेडरूम की सबसे अच्छी स्थिति घर के दक्षिण-पश्चिम में होती है क्योंकि इसका संबंध पृथ्वी तत्व से होता है, जो स्थिर और निष्क्रिय है। यह नींद के लिए सबसे शांतिपूर्ण और आरामदायक स्थितियां प्रदान करता है। यदि दक्षिण-पश्चिम का कमरा बेडरूम के तौर पर नहीं बनाया जा सकता हो तो घर के पश्चिम या दक्षिण की तरफ भी बेडरूम बनाया जा सकता है। यदि आपका मकान बहुमंजिला हो तो बेडरूम भूतल (ग्राउंड फ्लोर) पर नहीं बनाना चाहिए क्योंकि यहां ऐसा लगेगा जैसे कोई आपकी गतिविधियों पर नजर रख रहा है। बड़े कमरों में से किसी एक कमरे को शयन कक्ष बनाना चाहिए।
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