जीवन में सही समय, सही उद्देश्य के लिया गया अच्छा काम वास्तविक रूप से धर्म पालन है। क्योंकि ऐसे काम ही हमेशा सुख-शांति और यश की कामना को पूरी करने वाले होते हैं। शास्त्रों के मुताबिक दैहिक, मानसिक और आत्मिक सुख देने वाला ऐसा ही कर्म है-दान।
व्यावहारिक रूप से दान से जुड़ा देने का भाव अहं व स्वार्थ जैसे दोषों को घटाता है। इसलिए दान के लिए त्याग, निस्वार्थ और विनम्रता के भाव ही सार्थक व सुख देने वाले माने गए है। यही कारण है कि जन्म से लेकर मृत्यु कर्मों तक में धार्मिक महत्व की दृष्टि दान परंपराएं जुड़ी है। चाहे वह पशु दान हो या कन्यादान।
इसी कड़ी में शिवपुराण में लिखा है कि जिसे जिस वस्तु की जरूरत हो, उसे बिना मांगे ही दे दी जाए तो ऐसा दान बहुत फलीभूत होता है। जिसके लिए विशेष दिनों पर किया दान धर्म दीनता व दु:खों से बचाने वाला बताया गया है। जानते हैं वे खास दिन -
दान के लिए वैसे तो चैत्र सहित सभी हिन्दू पंचांग के बारह माह शुभ है, लेकिन इनमें भी आने वाली विशेष घडिय़ां बहुत शुभ मानी गई है। जो ये हैं -
- किसी भी माह की सूर्य संक्रांति के दिन किया गया दान अन्य शुभ दिनों की तुलना में दस गुना पुण्य देता है।
- सूर्य संक्रांति से भी दस गुना पुण्यदायी सूर्य के विषुव योग यानी सूर्य विषुवत् रेखा स्थिति, जो हिन्दू पंचांग के मुताबिक चैत्र नवमी और आश्विन माह की नवमी पर बनता है।
- विषुव योग से दस गुना फल कर्क संक्रांति यानी दक्षिणायन शुरू होने के दिन।
- कर्क संक्रांति से भी दस गुना मकर संक्रांति यानी उत्तरायन शुरू होने के दिन।
- इनसे भी अधिक पुण्य चन्द्रग्रहण और सबसे श्रेष्ठ समय सूर्यग्रहण के दौरान व बाद माना गया है।
Astrologer Varinder Kumar
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