Tuesday, October 23, 2012

दशहरे पर करें काले तिल का छोटा सा चमत्कारी उपाय

दशहरे पर करें काले तिल का छोटा सा चमत्कारी उपाय


हम जाने-अनजाने कई ऐसे कार्य करते हैं जिन्हें शास्त्रों के अनुसार पाप समझा जाता है। वेद-पुराण में पाप और पुण्य के संबंध में कई नियम बताए गए हैं। इनके अनुसार अधिकांश लोग कुछ न कुछ ऐसे कार्य अवश्य करते हैं जिन्हें पाप की श्रेणी में रखा जाता है। ऐसे कार्यों के विषय में हमें जानकारी नहीं रहती। ऐसे ही पापों से बचने के लिए मां दुर्गा के लिए एक विशेष उपाय बताया गया है।

ऐसा माना जाता है कि मृत्यु के बाद सभी को अपने किए पाप-पुण्य के कर्मों के फल प्राप्त होते हैं। शास्त्रों के अनुसार जाने-अनजाने में किए ऐसे ही पाप कर्मों के बुरे फल यमराज की भयंकर यातनाओं के रूप में प्राप्त होते हैं। यमराज के संबंध में कई बातें बताई गई हैं।


यदि इस प्रकार की सभी यातनाओं से बचना है तो दशहरे के लिए मां काली को काले तिल अर्पित करने से व्यक्ति के पापों में कमी आती है और पुण्य में वृद्धि होती है। प्रतिवर्ष दशहरे के दिन प्रात: माता दुर्गा का पूजन करके उनको काले तिल अर्पण करना चाहिए।

ऐसा माना जाता है कि यमराज का एक अलग लोक है जिसे यमपुरी के नाम से जाना जाता है। किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात आत्मा इसी लोक में आती है। जहां आत्मा को उसके द्वारा धरती पर जन्म के बाद किए गए पाप और पुण्य कर्मों का फल प्राप्त होता है। यदि कोई व्यक्ति पापी होता है तो उसे कई प्रकार की यातनाएं वहां सहना पड़ती है।


इसके साथ ही संकल्प करें कि सभी बुरी आदतों एवं लतों का त्याग करेंगे। ऐसा करने से यमलोक में मिलने वाली यातना का भय नहीं रहता है। इसके साथ ही खुद को सभी प्रकार के बुरे और अधार्मिक कार्यों से दूर रखें।

Wednesday, August 1, 2012

Happy Raksha Bandhan...... आज: राखी इस विधि से मनाएं रक्षा बंधन, घर आएगी खुशहाली



Happy Raksha Bandhan......

आज: राखी इस विधि से मनाएं रक्षा बंधन, घर आएगी खुशहाली


आज: यानी 2 अगस्त, गुरुवार को रक्षा बंधन का पर्व है। धर्म शास्त्रों में इस पर्व के बारे में वर्णन मिलता है। उसी के अनुसार रक्षा बंधन पर बहन भाई को, पुरोहित यजमान को व प्रजा राजा को रक्षा सूत्र बांधकर संरक्षण प्राप्ति का वचन लेते हैं। भविष्य पुराण के अनुसार विधि-विधान पूर्वक रक्षा बंधन करने से मनुष्य वर्ष भर धन-धान्य से परिपूर्ण होता है। भविष्य पुराण में रक्षा सूत्र के बारे में कहा गया है-

सर्व रोग पशमनं सर्वाशुभ विनाशनम।

सुंकृत्कृते नाब्दमेकं येन रक्षा कृता भवेत।।

अर्थात इस पर्व पर धारण किए जाने वाला रक्षा सूत्र समस्त रोगों एवं अशुभ कार्यों को नष्ट करता है तथा इसे धारण करने से मनुष्य वर्ष भर के लिए रक्षित हो जाता है।

रक्षा बंधन की विधि

इस दिन महिलाएं एवं पुरोहित सुबह स्नान करके सूर्य को तांबे केबर्तन से अध्र्य अर्पित करें। दोपहर बाद सूती, रेशमी या पीले कपड़े में चावल, केशर, चंदन, सरसों व दूर्वा रखकर रखकर एक पोटली (रक्षा पोटलिका) बनाएं और उसे एक तांबे के लोटे में रखकर भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित कर दें। फिर लाल कलावा (पूजा में उपयोग आने वाला पवित्र धागा) लेकर गंगाजल, हल्दी व केशर से पवित्र करें तथा अपने इष्ट देव का ध्यान करते हुए घर के मुख्य द्वार पर बांध दें।

इसके बाद बहनें भाइयों को कुल पंरपरानुसार आरती कर तिलक निकालें तथा मिठाई खिलाकर दाहिने हाथ में रक्षा सूत्र(राखी) बांधें तथा शगुन स्वरूप रूमाल इत्यादि भेंट करें। भाई भी अपनी शक्ति के अनुसार बहनों को उपहार दें। इस प्रकार रक्षा बंधन का पर्व मनाने से घर में खुशहाली आती है।


Astrologer Varinder Kumar
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09872493627


Thursday, June 7, 2012

मेरा अपना घर हो, इसके लिए क्या करूं?


पाठकों के ज्योतिष और वास्तु संबंधी सवालों के जवाब दे रहे हैं ज्योतिषीय एवं आध्यात्मिक चिन्तक वरिन्दर कुमर

प्रश्न: मेरा स्वयं का घर नहीं है। क्या प्राचीन ग्रंथों में इसका कोई उपाय सुझाया गया है?
-लक्ष्मण दास पुराणिक

उत्तर: स्वयं को सुयोग्य बनाकर व अपनी क्षमता को पहचानकर किए गए उद्यम से प्राप्त धन की सही योजना आपको कभी न कभी उचित आवास अवश्य उपलब्ध कराएगी, ऐसा मेरा विश्वास है। जहां तक प्राचीन ग्रंथों की बात है, तो सबसे स्पष्ट वर्णन 'स्कंद पुराण' के 'वैष्णव खंड' में मिलता है, जहां 'ॐ नम: श्री वाराहाय धरण्युद्धारणाम् स्वाहा' मंत्र के 4 लक्ष (कलयुग में 16 लक्ष) जाप तथा घी व मधुमिश्रित खीर से दशांश हवन का परामर्श प्राप्त होता है। इस मंत्र के ऋषि-'संकर्षण', देवता- 'वाराह', छंद- 'पंक्ति' और बीज- 'श्री' हैं, परंतु ये सब तंत्रशास्त्र की तकनीकी बातें हैं, जो ज्ञान के लिए तो ठीक हैं, पर बगैर किसी विद्वान की सलाह के मैं इन्हें आजमाने की सलाह कदापि नहीं देता। ध्यान रखें, सही दिशा में किए गए 'सटीक कर्म' का कोई विकल्प नहीं है।


प्रश्न: मैंने घर बनाने के लिए दो प्लॉट देखा है। किसी ने बताया है कि एक प्लॉट 'नागपृष्ठ' है और दूसरा 'गज पृष्ठ' है। ये क्या होता है, क्या इसे खरीदना शुभ रहेगा?

-पूरन चंद्र खेमका

उत्तर: वास्तु नियमों के अनुसार जो भूमि उत्तर व दक्षिण में तो ऊंची हो, पर मध्य में नीची हो, उसे 'नागपृष्ठ' कहते हैं। ऐसी भूमि पर निवास करना शुभ नहीं माना जाता। जो भूमि दक्षिण से पश्चिम तक ऊंची हो, उसे 'गजपृष्ठ' कहा जाता है। इस भूमि पर निवास करने से ऐश्वर्य, धन, संपदा, सुख और संतान में वृद्धि होती है।


प्रश्न: यदि आग्नेय कोण पर किचन बनाना संभव न हो, तो कहां बना सकते हैं? नॉर्थ-ईस्ट कॉर्नर पर रसोई घर कैसा रहेगा?
- सुप्रिया काबरा

उत्तर : दक्षिण - पूर्व यानी आग्नेय कोण ही अग्नि का सर्वश्रेष्ठ स्थान है , पर यदि यहां पाकशाला बनाना संभव ही हो , तो वायव्य कोण यानी उत्तर - पश्चिम में भी रसोई घर का निर्माण किया जा सकता है। उत्तर - पूर्व में रसोई घर बनाना शुभ नहीं है। इससे पारिवारिक विवाद , मानसिक तनाव , झगड़े धन के अपव्यय की परिस्थिति निर्मित हो सकती है , ऐसा वास्तु शास्त्र के नियम कहते हैं।



टिप्स ऑफ वीक

- साउथ - वेस्ट के कक्ष में चमकीले फर्श , दर्पण इत्यादि से बचना चाहिए। ये कानूनी परेशानियां उत्पन्न करके धन का अपव्यय कर सकते हैं।

- उत्तर या उत्तर - पूर्व में अग्नि की उपस्थिति शुभ फल प्रदायक नहीं होती। यह पारिवारिक अशांति को जन्म देकर सुख - संपत्ति में कमी कर सकता ै। 


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