शनि ऐसा ग्रह है जिसके प्रति सभी का डर सदैव बना रहता है। आपकी कुंडली में शनि किस भाव में है, इससे आपके पूरे जीवन की दिशा, सुख, दुख आदि सभी बात निर्धारित हो जाती है।
शनि किस भाव में है और उसके क्या फल है, जानिए...
लग्न में शनि हो तो...
जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि प्रथम भाव में हो वह व्यक्ति राजा के समान जीवन जीने वाला होता है। यदि शनि अशुभ फल देने वाला है तो व्यक्ति रोगी, गरीब और बुरे कार्य करने वाला होता है।
द्वितीय भाव में शनि हो तो
द्वितीय भाव में शनि हो तो व्यक्ति विकृत मुख वाला, लालची, विदेश में धन अर्जित करने वाला होता है।
तृतीय भाव में शनि हो तो
तृतीय भाव में शनि हो तो व्यक्ति संस्कारवान, सुंदर शरीर वाला, नीच, आलसी, चतुर होता है।
चतुर्थ भाव में शनि हो तो
जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि चतुर्थ भाव में है वह रोगी, दुखी, भाई, वाहन, धन और बुद्धि से हीन होता है।
पंचम भाव में शनि हो तो
जन्म कुंडली में पंचम भाव का शनि हो तो वह व्यक्ति दुखी, पुत्र हीन, मित्र हीन और कम बुद्धि वाला होता है।
षष्ठ भाव में शनि हो तो
जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि छठे भाव में हो तो वह कामी, सुंदर, शूरवीर, अधिक खाने वाला, कुटिल स्वभाव, बहुत शत्रुओं को जीतने वाला होता है।
सप्तम भाव में शनि हो तो
सप्तम भाव का शनि होने पर व्यक्ति रोग, गरीब, कामी, खराब वेशभूषा वाला, पापी, नीच होता है।
अष्टम भाव में शनि हो तो
अष्टम भाव में शनि होने पर व्यक्ति कुष्ट या भगंदर रोग से पीडि़त, दुखी, अल्पायु, हर कार्य को करने में अक्षम होता है।
नवम भाव में शनि हो तो
ऐसा व्यक्ति जिसकी कुंडली में नवम भाव में शनि हो वह अधार्मिक, गरीब, पुत्रहीन, दुखी होता है।
दशम भाव में शनि हो तो
दशम भाव का शनि होने पर व्यक्ति धनी, धार्मिक, राज्यमंत्री या उच्चपद पर आसीन होता है।
एकादश भाव में शनि हो तो
जिस व्यक्ति की कुंडली में ग्याहरवें भाव में शनि हो वह लंबी आयु वाला, धनी, कल्पनाशील, निरोग, सभी सुख प्राप्त करने वाला होता है।
द्वादश भाव में शनि हो तो
बाहरवें भाव में शनि होने पर व्यक्ति अशांत मन वाला, पतित, बकवादी, कुटिल दृष्टि, निर्दय, निर्लज, खर्च करने वाला होता है।
शनि किस भाव में है और उसके क्या फल है, जानिए...
लग्न में शनि हो तो...
जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि प्रथम भाव में हो वह व्यक्ति राजा के समान जीवन जीने वाला होता है। यदि शनि अशुभ फल देने वाला है तो व्यक्ति रोगी, गरीब और बुरे कार्य करने वाला होता है।
द्वितीय भाव में शनि हो तो
द्वितीय भाव में शनि हो तो व्यक्ति विकृत मुख वाला, लालची, विदेश में धन अर्जित करने वाला होता है।
तृतीय भाव में शनि हो तो
तृतीय भाव में शनि हो तो व्यक्ति संस्कारवान, सुंदर शरीर वाला, नीच, आलसी, चतुर होता है।
चतुर्थ भाव में शनि हो तो
जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि चतुर्थ भाव में है वह रोगी, दुखी, भाई, वाहन, धन और बुद्धि से हीन होता है।
पंचम भाव में शनि हो तो
जन्म कुंडली में पंचम भाव का शनि हो तो वह व्यक्ति दुखी, पुत्र हीन, मित्र हीन और कम बुद्धि वाला होता है।
षष्ठ भाव में शनि हो तो
जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि छठे भाव में हो तो वह कामी, सुंदर, शूरवीर, अधिक खाने वाला, कुटिल स्वभाव, बहुत शत्रुओं को जीतने वाला होता है।
सप्तम भाव में शनि हो तो
सप्तम भाव का शनि होने पर व्यक्ति रोग, गरीब, कामी, खराब वेशभूषा वाला, पापी, नीच होता है।
अष्टम भाव में शनि हो तो
अष्टम भाव में शनि होने पर व्यक्ति कुष्ट या भगंदर रोग से पीडि़त, दुखी, अल्पायु, हर कार्य को करने में अक्षम होता है।
नवम भाव में शनि हो तो
ऐसा व्यक्ति जिसकी कुंडली में नवम भाव में शनि हो वह अधार्मिक, गरीब, पुत्रहीन, दुखी होता है।
दशम भाव में शनि हो तो
दशम भाव का शनि होने पर व्यक्ति धनी, धार्मिक, राज्यमंत्री या उच्चपद पर आसीन होता है।
एकादश भाव में शनि हो तो
जिस व्यक्ति की कुंडली में ग्याहरवें भाव में शनि हो वह लंबी आयु वाला, धनी, कल्पनाशील, निरोग, सभी सुख प्राप्त करने वाला होता है।
द्वादश भाव में शनि हो तो
बाहरवें भाव में शनि होने पर व्यक्ति अशांत मन वाला, पतित, बकवादी, कुटिल दृष्टि, निर्दय, निर्लज, खर्च करने वाला होता है।
ASTROLOGER
Shop No 74 Ghumar Mandi
Ludhiana Punjab India
01614656864
09915081311
email :sun_astro37@yahoo.com
No comments:
Post a Comment