पैर शरीर का अहम अंग है। जिसके बिना जीवन गतिहीन है। पैरों के बिना इंसान विवश और असहाय हो सकता है। हालांकि मजबूत इच्छाशक्ति के लोग बिना पैरों के भी जीवन को सफल बना लेते हैं। धर्मग्रंथों में भी वामन अवतार, अंगद का पैर जमाना, श्रीराम का अहिल्या उद्धार जैसे अनेक प्रसंगों में चरण यानी पैर ही कल्याणकारी, दंभ को तोडऩे वाले या पावनता का प्रतीक बनें।
यही कारण है कि जीवन को सफल बनाने की कोशिशों में यही पैर न डगमगा जाएं और बिन बाधाओं के आगे बढ़ते रहें, इस भावना के साथ हिन्दू धर्म शास्त्रों में इंसानी मन व जीवन के ज्ञान-विज्ञान को समझते हुए हुए सुबह जागने पर पैरों को जमीन पर रखते समय मंत्र विशेष द्वारा देव स्मरण का महत्व बताया गया है। ताकि देवकृपा से हर कदम सुरक्षित और कामयाबी की मंजिल तक पहुंचने वाला हो।
यह मंत्र विशेष रूप से मातृशक्ति का स्मरण है। शक्ति का ही स्वरूप देवी लक्ष्मी की उपासना सुख, धन और ऐश्वर्य देने वाली मानी गई है, जो हर इंसान की चाहत होती है। इस मंत्र में भी उनका ही स्मरण है। इसलिए सुबह जागने पर जमीन पर पैर रखते ही इस मंत्र का ध्यान रख कदम आगे बढ़ाएं -
समुद्र वसने देवी पर्वतस्तन मण्डले।
विष्णु पत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्श क्षमस्व मे।।
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