Saturday, June 4, 2011

एक ही मंत्र से बनाएं नौ ग्रह बलवान



धार्मिक मान्यताएं हो या विज्ञान के सिद्धांत, यह बात तो साफ है कि ग्रह-नक्षत्रों का असर इंसानी जीवन पर किसी न किसी रूप में होता है। विज्ञान के मुताबिक प्रकृति के कहर या बुरे असर से बचने के लिये इंसान को प्राकृतिक गतिविधियों में छेड़छाड़ न कर नियमों में ढलना चाहिए।

वहीं हिन्दू धर्मशास्त्रों में संपूर्ण प्रकृति ही ईश्वर का विराट रूप मानी गई है। यही कारण है कि अलग-अलग ग्रह-नक्षत्रों को देव स्वरूप माना गया है। जिनके शुभ-अशुभ प्रभाव जीवन के सुख-दु:ख, लाभ-हानि को नियत करने वाले भी माने गए हैं। इसलिए अलग-अलग ग्रहों की उपासना से जीवन से जुड़ी कामनाओं और सुखों की पूर्ति करने के लिए उपासना या मंत्र जप के उपाय बताए गए हैं।

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक किसी भी व्यक्ति का जीवन एक या अनेक ग्रहों के अच्छे-बुरे योगों से प्रभावित हो सकता है। जिसके कारण कभी-कभी इंसान ग्रहों की दोष शांति को लेकर परेशानी, भय और संशय में जीवन गुजारता है या किसी कारणवश कुछ ग्रहों की पीड़ा को दूर करने के उपाय अपना नहीं पाता।

ग्रहदोष शांति या अनुकूलता के लिए भ्रम और परेशानी को दूर करने के लिये यहां बताया जा रहा है शास्त्रों का ऐसा मंत्र जिसमें नवग्रहों का स्मरण एक ही बार में  संभव होता है। अगर कोई इंसान ग्रहों की अनूकुलता से जीवन में सुख-शांति की चाहत रखता है तो यहां बताए नवग्रह मंत्र का जप प्रतिदिन करें- 

- प्रात: स्नान कर नवग्रह मंदिर या घर के देवालय में नवग्रहों को विशेष पूजा सामग्री न भी अर्पित कर पाएं तो मात्र गंध, अक्षत, फूल व नैवेद्य चढ़ाकर नीचे लिखे नवग्रह मंत्र का स्मरण कर धूप, दीप से नवग्रहों की आरती करे -

 ब्रह्मामुरारिस्त्रिपुरान्तकारी, भानु: शशी भूमिसुतो बुधश्च।

गुरुश्च शुक्र: शनि राहु केतव:, सर्वे ग्रहा शान्तिकरा भवन्तु।।

- आरती की पवित्र जोत की ऊर्जा दोनों हथेलियों से ग्रहण कर सिर से पैरों तक फेरें। ऐसा करना नवग्रहों की प्रसन्नता और शुभ प्रभाव के लिए शुभ माना गया है।




Varinder Kumar
ASTROLOGER
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