कहते हैं जिन लोगों की कुंडली में दोष होता है उनकी शादी में विघ्र आते हैं या तो उनकी शादी या तो बहुत जल्दी होती है या बहुत देर से होती है। लोगों के विवाह में देरी का एक कारण मंगली लड़की या लड़के का ना मिलना भी होता है। समय पर योग्य वर या वधु नहीं मिल पाते हैं। जो मिलते हैं वहां कोई दूसरी समस्या सामने आ जाती है। ऐसे में शीघ्र विवाह के लिए गुरु के उपाय करने को कहा जाता है।
लुधियाना के ज्योतिषाचार्य Varinder Kumar JI के अनुसार गृहस्थ जीवन को गुरु प्रभावित करता है। पारिवारिक शांति और सुखमय गृहस्थ जीवन के लिए बृहस्पति यानी गुरु से संबंधित उपाय किए जाते है तो निश्चित ही घर में सुख शांति बनी रहती है। दरअसल गुरु को विवाह का कारक गृह माना जाता है। जब किसी की कुंडली में गुरु अशुभ होता है तो उसकी कुंडली में विवाह विलंब योग बनता है।गुरु को जन्मकुंडली के सप्तम भाव का कारक माना जाता है।
कुंडली का यह भाव पति या पत्नी का माना गया है। इसलिए मंगल होने पर भी मंगल के उपाय के साथ ही ज्योतिषों द्वारा गुरुवार का व्रत रखने की ओर गुरु से जुड़े उपाय करने की सलाह दी जाती है ताकि जन्मकुंडली के दोष का निवारण हो और विवाह योग्य लड़के या लड़की का शीघ्र विवाह हो जाए।
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