जिस प्रकार पिता के अच्छे कार्यों का फल बच्चों को अच्छे और सुखी जीवन के रूप में मिलता है ठीक उसी प्रकार पिता के बुरे कर्मों की सजा बच्चों को भुगतना पड़ती है। पिता के ऋणों को संतान को ही चुकाना पड़ता है। ज्योतिष में एक दोष बताया गया है पितृ ऋण। यह भी ऐसा ही ऋण है कि पिता का धार्मिक ऋण संतान को ही चुकाना है।
कई बार लोगों से जाने-अनजाने गलत कार्य या पाप हो जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार मनुष्य को उसके बुरे कर्मों की सजा इसी जन्म में अवश्य ही भोगनी पड़ती है। फिर भी यदि उस व्यक्ति की असमय मृत्यु हो जाए या उसे उसके सभी पापों की सजा इस जन्म में प्राप्त न हो सके तो उसकी संतान को दुख झेलने पड़ सकते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब तक पितृ ऋण के संबंध में उचित उपचार न किया जाए व्यक्ति को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार के दोष कुंडली में ग्रहों की स्थिति से स्पष्ट हो जाते हैं। पितृ ऋण भी अलग-अलग ग्रहों से संबंधित होते हैं। सभी ग्रहों से संबंधित पितृ ऋण के अलग प्रभाव होते हैं और इनका उपचार भी अलग-अलग ही होता है। पितृ ऋण के प्रभाव को दूर करने के लिए पिता के नाम से पुण्य और पवित्र कर्म करने चाहिए। इसके साथ पितृ ऋण का संबंध जिस ग्रह से हो उसका निमित्त पूजन कर्म करने चाहिए।
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