Sunday, October 30, 2011

हर चतुर्थी की सुबह बोलें यह गणेश मंत्र..बिन बाधा होंगे हर काम


बुरे विचार, बुरा स्वास्थ्य या बुरे कर्म जीवन में विघ्र और कलह का कारण बनते हैं। जिससे लक्ष्य और सफलता को पाना निश्चित रूप से कठिन हो सकता है। अच्छी सोच व अनुशासन का संकल्प ऐसे कलह से दूर कर मनचाही कामयाबी देने वाला होता है।

हिन्दू धर्म में श्री गणेश विनायक यानी विघ्रहर्ता देवता माने गए हैं। श्री गणेश की उपासना बुद्धि और समृद्धि देकर तन, मन व धन के क्लेशों का अंत कर देती है। श्री गणेश की उपासना के लिए हर माह की चतुर्थी तिथियां बहुत ही मंगलकारी मानी गई है।

शास्त्रों में इस शुभ तिथि पर सुबह विशेष गणेश मंत्र का स्मरण हर तरह की बाधा और विघ्न का नाश करने वाला माना गया है। जानते हैं यह मंत्र विशेष, जिसे हर चतुर्थी या प्रतिदिन भी स्नान के बाद कम से कम सुगंधित धूप बत्ती लगाकर बोलें व कार्य की शुरुआत करें -

प्रात: स्मरामि गणनाथमनाथबन्धु

सिन्दुरपूरपरिशोभितगण्डयुग्मम्।

उद्दण्डविघ्रपरिखण्डनचण्डदण्ड

माखण्डलादिसुरनायकवृन्दवन्द्यम।।

सरल अर्थ है कि अनाथों के स्वामी या बन्धु, सिन्दूर से शोभित दो गालोंवाले, बड़े से बड़े विघ्रों का अंत करने में सबल और इन्द्र सहित अनेक देवताओं द्वारा पूजनीय भगवन श्री गणेश का मैं भी वन्दन व ध्यान करता हूं।

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