Sunday, December 4, 2011

लक्ष्मी कृपा का आसान उपाय - इस मंत्र से घर में लगाएं तुलसी का पौधा




स्वस्थ तन, मन और वाणी में मिठास किसे सुख-सुकून नहीं देती? दरअसल तीनों ही बातों में एक समानता है और वह है पवित्रता। जी हां, स्वच्छता किसी भी रूप में मौजूद हो वह मन को ऊर्जा व ताजगी देती है। बस, यही ऊर्जा अलग-अलग तरह की गुण व शक्तियों में तब्दील हो सुख-संपन्नता पाने में मदद करती है। जिसे ही धार्मिक आस्था से देवी लक्ष्मी की कृपा भी माना जाता है।

इस तरह जाहिर है कि जहां तन, मन, विचार व वातावरण में पवित्रता हो वहां लक्ष्मी बसती है। सांसारिक जीवन में ऐसी ही पवित्रता का प्रतीक व लक्ष्मी का साक्षात् स्वरूप माना जाता है - तुलसी का पौधा। इसलिए शास्त्रों में तुलसी पौधा घर में लगाने का शुभ फल लक्ष्मी की असीम कृपा बताया गया है।

पौराणिक मान्यताओं में भी इसे तुलसी व वृंदा के नाम से विष्णु प्रिया या लक्ष्मी का ही रूप बताया गया है। इसीलिए शालिग्राम-तुलसी विवाह की परंपरा व पूजा भी सुख-समृद्ध करने वाली मानी गई है। माना जाता है कि हरि व हर यानी शिव-विष्णु की कृपा से ही तुलसी को देववृक्ष का स्वरुप प्राप्त हुआ। व्यावहारिक रूप से भी घर में तुलसी पूजा से मन में शुद्ध भाव पैदा होते हैं तो खाने से तन भी निरोगी रहता है।

अगर आप भी आर्थिक परेशानियों से दूर खुशहाल जीवन चाहते हैं तो शास्त्रों में बताए कुछ विशेष मंत्रों घर में तुलसी का पौधा लगाकर देवी लक्ष्मी को बुलावा दें और स्थायी वास की कामना करें। जानते हैं ये मंत्र और तुलसी पौधा लगाने का सरल तरीका -

- तुलसी पौधा लगाने के लिए वैसे तो शास्त्रों में आषाढ़ व ज्येष्ठ माह का महत्व बताया गया है। किंतु अन्य दिनों में किसी भी पवित्र तिथि खासतौर पर एकादशी तिथि को स्नान के बाद किसी भी देव मंदिर या जिस घर मे नित्य तुलसी पूजा होती हो, से तुलसी का छोटा-सा पौधा लेकर आएं।

- घर के आंगन या किसी पवित्र जगह को गंगाजल से पवित्र कर तीर्थ की पवित्र मिट्टी से भरे गमले में उस पौधे को रोपें। तुलसी के पौधे को जल, गंध, इत्र, फूल, दूर्वा, फल अर्पित करते हुए पीली मौली या वस्त्र अर्पित करें। मिठाई का भोग लगाएं।

- बाद किसी सुहागिन स्त्री से ही तुलसी के चारों ओर दूध व जल की धारा अर्पित करवाकर नीचे लिखे वेद व पुराण मंत्रों का ध्यान करें -

विष्णु का ध्यान कर तुलसी मंत्र बोलें -

नमस्तुलसि कल्याणि नमो विष्णुप्रिये शुभे।

नमो मोक्षप्रदे देवि नम: सम्पत्प्रदायिके।।

लक्ष्मी का ध्यान कर यह मंत्र बोलें -

श्रीश्चते लक्ष्मीश्चपत्न्यावहोरात्रे पारश्वे नक्षत्राणिरूप मश्विनौव्यात्तम्।

इष्णन्निषाणामुम्म इषाण सर्वलोकम्म इषाण।

- मंत्र स्मरण के बाद तुलसी की धूप, दीप व कर्पूर आरती करें व प्रसाद ग्रहण करें।


any body who will try to steal or miss use or blog will be dealt severly acording to law

Jyotishachary Varinder Kumar JI 
Shop No 74 New
Shopping Center Ghumar Mandi
Ludhiana Punjab India

01614656864
09915081311,09872493627

email: sun_astro37@yahoo.com,sun.astro37@gmail.com
wwwsunastrocom.blogspot.com
http://www.sunastro.com/
http://www.facebook.com/profile.php?id=100000371678

 

No comments:

Post a Comment