माना जाता है कि सांसारिक जीवन में शनि का यह दण्ड शरीर, मन या आर्थिक परेशानियों के रूप में मिलता है। चूंकि हर प्राणी कर्म व कर्तव्यों से किसी न किसी रूप में जुड़ा होता है। इसलिए जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए पैदा हुई हित या स्वार्थ पूर्ति की भावना से जाने-अनजाने मन, विचार व कर्म दोषों का भागी बनता है। धर्म की दृष्टि से ऐसे दोषों का शमन प्रायश्चित व क्षमा द्वारा संभव है।
यही कारण है कि वर्ष के आखिरी दिन, सालभर किसी भी रूप में कर्म, विचार या व्यवहार से हुए बुरे कामों के लिए न्यायाधीश शनि का ध्यान कर उनसे विशेष मंत्र से क्षमा मांगना आने वाले साल में भी शनि कृपा से सारे रुके, बिगड़े या मनचाहे कामों को पूरा करने का बेहतर उपाय साबित होगा।
जानते हैं, साल के आखिरी दिन शनिवार के संयोग में शनि पूजा व क्षमा प्रार्थना का विशेष मंत्र -
- शनिवार को स्नान के बाद यथासंभव काले वस्त्र पहनकर शनि मंदिर में शनि देव का ध्यान कर प्रतिमा को पवित्र जल, तिल या सरसों का तेल, काला वस्त्र, अक्षत, फूल, नैवेद्य अर्पित करें। सरल शनि मंत्रों जैसे ॐ शं शनिश्चराय नम:, शनि चालीसा या शनि स्त्रोत का पाठ करें।
- मंत्र ध्यान व पूजा के बाद शनिदेव की आरती कर नीचे लिखे मंत्र से वर्ष भर जाने-अनजाने हुए बुरे कर्म व विचार के लिये क्षमा मांग आने वाले वक्त को सुखद व सफल बनाने की कामना करें -
अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।
गतं पापं गतं दु:खं गतं दारिद्रय मेव च।
आगता: सुख-संपत्ति पुण्योऽहं तव दर्शनात्।।
Jyotishachary Varinder Kumar JI
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