Wednesday, December 14, 2011

मुकद्दर संवारेगा गुरुवार को इस गुरु मंत्र का ध्यान




सनातन धर्म की प्रकृति को परब्रह्म का स्वरूप मानने वाली देव संस्कृति में ग्रह देव रूप में पूजनीय है। माना जाता है कि देव स्वरूप होने से हर ग्रह विशेष का अलग-अलग रूपों में शुभ प्रभाव सुख-सफलता लाने वाला होता है। जिसके लिए शास्त्रों में विशेष दिनों पर नवग्रह के विशेष मंत्रों के स्मरण का महत्व बताया गया है।

इसी कड़ी में बृहस्पतिवार को देवगुरु बृहस्पति के विशेष मंत्र ध्यान के शुभ प्रभाव से ज्ञान, बुद्धि, सुख-सौभाग्य, वैभव व मनचाही कामयाबी पाना आसान हो जाता है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक बृहस्पति ने शिव कृपा से देवगुरु का पद पाया। इसलिए बृहस्पति उपासना शिव को प्रसन्न कर सांसारिक जीवन की कामनाओं जैसे विवाह, संतान, धन आदि को भी सिद्ध करती है।

कामनापूर्ति व भाग्य बाधा दूर करने के लिए ही यहां बताया जा रहा बृहस्पति मंगल मंत्र बहुत ही प्रभावी माना गया है। जानते हैं यह गुरु बृहस्पति मंत्र और पूजा की आसान विधि -

- गुरुवार को स्नान के बाद यथासंभव पीले वस्त्र पहन नवग्रह मंदिर में गुरु बृहस्पति की प्रतिमा को केसर मिले दूध व पवित्र जल से स्नान कराकर, पीले चंदन, पीले फूल या फूल माला, पीला वस्त्र, हल्दी से रंगी पीली जनेऊ, पीले फल, हल्दी, पीला अन्न व पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं।

- गाय के शुद्ध घी का दीप व धूप बत्ती लगाकर यथासंभव पीले आसन पर बैठकर सुख-सौभाग्य की कामना से नीचे लिखे मंत्र का स्मरण कर आखिर में देवगुरु की आरती करें। मंत्र स्मरण व पूजा के बाद गुरु ग्रह से संबंधित पीली सामग्रियों जैसे पीली दाल, वस्त्र, गुड़, सोना आदि यथाशक्ति दान करें -



जीवश्चाङ्गिर-गोत्रतोत्तरमुखो दीर्घोत्तरा संस्थित:

पीतोश्वत्थ-समिद्ध-सिन्धुजनिश्चापो थ मीनाधिप:।

सूर्येन्दु-क्षितिज-प्रियो बुध-सितौ शत्रूसमाश्चापरे

सप्ताङ्कद्विभव: शुभ: सुरुगुरु: कुर्यात् सदा मङ्गलम्।।



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