Friday, May 13, 2011

जब शनि होते हैं हाथी पर सवार.. तो हो जाता है कमाल!!



हिन्दू धर्म शास्त्रों के मुताबिक सूर्य पुत्र शनि का स्वभाव क्रूर व तामसी माना गया है। शनिदेव का रंग भी काला माना गया है और डील-डौल भी सुंदर नहीं है। यह भी मान्यता है कि उनकी टेढ़ी नजर और चाल भी जीवन में दु:खों से खलबली मचा देती है। शनि दण्डाधिकारी के रूप में भी जाने जाते हैं यानी बुरे कर्मों का दण्ड नियत करने वाले भी शनिदेव है।

शनिदेव के  रूप-रंग, कद-काठी, कार्य से जुड़ी इन नकारात्मक बातों से हर कोई शनि दशा से भयभीत होकर शनि दशा या उनके कोप से बचना चाहता है। किंतु शास्त्रों में ही लिखी बातें शनि को भाग्य विधाता यानी किस्मत को चमकाने वाले देवता भी बताती है। क्योंकि शनि की दशा हमेशा ही पीड़ादायक नहीं होती, बल्कि दूसरे ग्रहों से मित्रता और शत्रुता या कुण्डली में बने बुरे योग भी शनि के अच्छे-बुरे प्रभाव नियत करते हैं।

शनि दशा में अन्य ग्रहों के साथ शुभ योग होने पर शनि कृपा से इंसान खुशहाल हो सकता है। शनि के ऐसे ही कल्याणकारी रूप को शनि चालीसा की चौपाईयां भी उजागर करती है। जिसमें शनिदेव के अलग-अलग प्राणियों पर सवारी के फल बताए गए हैं। असल में यहां शनिदेव के इन प्राणियों को वाहन बनाकर आना और उनके जीवन पर अच्छे-बुरे प्रभाव का संबंध शनि के शुभ-अशुभ ग्रह योग की ओर ही संकेत करता है। 

ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक शनि के एक ही वाहन की सवारी अलग-अलग लोगों के लिए शुभ और अशुभ भी हो सकती है। बहरहाल, शनि चालीसा की नीचे लिखी चौपाई से जानते हैं कि जिस व्यक्ति के जीवन में शनि के हाथी को वाहन बनाकर आने से शुभ फल मिलते हैं तो क्या होता है? लिखा है -

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं । हय ते सुख सम्पत्ति उपजावैं।। 

इस चौपाई का साफ मतलब है शनि देव जब हाथी पर सवार होकर आते हैं, तो अपार धन, सुख-संपदा, वैभव से इंसान का जीवन खुशहाल हो जाता है। हाथी लक्ष्मी का वाहन भी बताया गया है। इसलिए घर-परिवार से दरिद्रता दूर होकर सुख और शांति भी आती है।

इस तरह कह सकते हैं कि शनि दशा का ढैय्या या साढ़े साती हमेशा कष्ट देने वाली नहीं होती है।






Varinder Kumar
ASTROLOGER
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