शनि देव अपना असर तीन चरणों में दिखाते हैं, जो साढ़े सात सप्ताह से साढ़े सात साल तक होता है। अभी सिंह, कन्या और तुला राशि वालों को साढ़ेसाती चल रही है। कुंभ और मिथुन राशि वालों पर ढैय्या चल रहा है।
पहले चरण में यानि शुरूआत के ढाई साल में जातक का मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है और वह अपने उद्देश्य से भटक कर चंचल वृत्ति धारण कर लेता है, उसके अंदर स्थिरता का अभाव बना रहता है।
दूसरे चरण में मानसिक के साथ-साथ शारीरिक कष्ट भी उसको घेरने लगते हैं। हर वो काम जो सरलता से हो जाता है उसको करने के लिए भी मेहनत करना पड़ती है। उसकी सारी कोशिश असफल होने लगती है। किसी काम का परिणाम मेहनत के अनुसार नही मिलता।
दूसरे चरण के प्रभाव से ग्रस्त जातक, तीसरे चरण में अपने संतुलन को पूरी तरह रूप से खो चुका होता है और उसका गुस्सा बढ़ता जाता है। परिणाम स्वरूप हर काम का उल्टा ही परिणाम सामने आता है और उसके शत्रुओं की वृद्धि होती जाती है। जिन राशियों पर साढ़ेसाती तथा ढैया प्रभाव है, वे शनि के उपाय करें तो अशुभ फल से बचा जा सकता है।
साढ़ेसाती में ये उपाय करें-
1. प्रतिदिन लोबान युक्त बत्ती सरसों तेल के दीये में डालकर शाम को पीपल की जड़ में दीपक जलाएं।
2. कच्चे धागे को सात बार पीपल के पेड़ में लपेटें।
3. बन्दरों को गुड़ और चना, भैसों को उड़द के आटे की रोटी खिलाएं।
4. जटायुक्त कच्चे नारियल सिर के ऊपर से 11 बार उतार कर 11 नारियल बहते जल में प्रवाहित करें।
5. काला कपड़ा, कंबल और छाया पात्र दान करें।
पहले चरण में यानि शुरूआत के ढाई साल में जातक का मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है और वह अपने उद्देश्य से भटक कर चंचल वृत्ति धारण कर लेता है, उसके अंदर स्थिरता का अभाव बना रहता है।
दूसरे चरण में मानसिक के साथ-साथ शारीरिक कष्ट भी उसको घेरने लगते हैं। हर वो काम जो सरलता से हो जाता है उसको करने के लिए भी मेहनत करना पड़ती है। उसकी सारी कोशिश असफल होने लगती है। किसी काम का परिणाम मेहनत के अनुसार नही मिलता।
दूसरे चरण के प्रभाव से ग्रस्त जातक, तीसरे चरण में अपने संतुलन को पूरी तरह रूप से खो चुका होता है और उसका गुस्सा बढ़ता जाता है। परिणाम स्वरूप हर काम का उल्टा ही परिणाम सामने आता है और उसके शत्रुओं की वृद्धि होती जाती है। जिन राशियों पर साढ़ेसाती तथा ढैया प्रभाव है, वे शनि के उपाय करें तो अशुभ फल से बचा जा सकता है।
साढ़ेसाती में ये उपाय करें-
1. प्रतिदिन लोबान युक्त बत्ती सरसों तेल के दीये में डालकर शाम को पीपल की जड़ में दीपक जलाएं।
2. कच्चे धागे को सात बार पीपल के पेड़ में लपेटें।
3. बन्दरों को गुड़ और चना, भैसों को उड़द के आटे की रोटी खिलाएं।
4. जटायुक्त कच्चे नारियल सिर के ऊपर से 11 बार उतार कर 11 नारियल बहते जल में प्रवाहित करें।
5. काला कपड़ा, कंबल और छाया पात्र दान करें।
Varinder Kumar
ASTROLOGER
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