Thursday, May 26, 2011

इन अद्भुत मंत्रों से छूमंतर हो जाए तनाव व थकान!



हिन्दू धर्मशास्त्रों में शुक्रवार के दिन देवी पूजा से जीवन से जुड़ी अलग-अलग रूपों में शक्ति संचय का महत्व है। शक्ति अर्जन और रक्षा की बात हो तो धर्मग्रंथों में इंसान की शक्ति और ऊर्जा को कायम रखने के लिए ब्रह्मचर्य का पालन भी अहम माना गया है।

ब्रह्मचर्य का मूल भाव भी संयम और अनुशासन से है। यह तन व मन की शक्तियां व ऊर्जा बरकरार रखने का श्रेष्ठ उपाय भी है। ब्रह्मचर्य पालन के लिये रज और वीर्य रक्षा का भी महत्व बताया गया है। धर्म, विज्ञान और आध्यात्मिक नजरिए से भी रज और वीर्य मानसिक, शारीरिक और वैचारिक शक्ति को जोड़ते हैं, जो बाहरी तौर पर उत्साह, विश्वास, ऊर्जा, सोच और जोश के रूप में भी प्रकट होती है।

इसी जोश, ऊर्जा और शक्ति को बनाए रखने के लिए हिन्दू धर्म शास्त्रों में शुक्रवार को शुक्र ग्रह की उपासना का भी महत्व है। ज्योतिष शास्त्रों में भी शुक्र ग्रह को यौन अंगों, रज और वीर्य का कारक भी माना गया है। धार्मिक दृष्टि से शुक्र पूजा से तमाम भौतिक सुख प्राप्त होते हैं।

यही कारण है कि शुक्र ग्रह के शुभ-अशुभ प्रभाव दाम्पत्य जीवन और सांसारिक सुख नियत करते हैं। शुक्र के शुभ योग और अनुकूलता से इंसान उत्साही, ऊर्जावान बना रहकर दाम्पत्य और यौन सुखों प्राप्त करता है, वहीं बुरे योग से यौन रोग और वीर्य दोष से पीडि़त होने के साथ दाम्पत्य जीवन भी तनावभरा होता है।

अगर आप भी शुक्र दोष से आलस्य, असफलता या दाम्पत्य जीवन में तनाव का सामना कर रहे हैं तो यहां बताया जा रहा है शुक्र ग्रह को अनुकूल करने के लिए वे विशेष मंत्र और सामान्य पूजा विधि जो आपको समस्याओं से मुक्त करेगी।

- शुक्रवार के दिन स्नान के बाद नवग्रह मंदिर या घर में शुक्र की प्रतिमा पर गंध, अक्षत, सफेल वस्त्र, सफेद फूल अर्पित करें।

- पूजा के बाद नीचे लिखे शुक्र गायत्री मंत्र या का यथाशक्ति जप करें -

ऊँ भृगुवंशजाताय विद्महे, 

श्वेतवाहनाय धीमहि,

तन्न: शुक्र: प्रचोदयात्।

बीज मंत्र -


ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राये नमः।

- पूजा और मंत्र जप के बाद शुक्र की घी के दीप से आरती कर क्षमा प्रार्थना करें।




Varinder Kumar
ASTROLOGER
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