पौराणिक ग्रन्थों, वेदों-पुराणों और साहित्य तक में किन्नर हिमालय क्षेत्र में बसने वाली महत्वपूर्ण आदिम जाति है जिसके वंशज वर्तमान जनजातीय जिला किन्नौर के निवासी माने जाते हैं। किन्नरों का जीवन बहुत ही संघर्षों से भरा है क्योंकि समाज में सामान्य मनुष्यों की तरह इन्हेंआदर सम्मान नहीं मिल पाता है लेकिन कहते हैं कर्मों के अनुसार स्त्री-पुरुष या नपुंसक योनि में जन्म लेना पड़ता है। इन्हें दान देने को शास्त्रों में बहुत महत्व दिया गया है।
ज्योतिष के अनुसार बुध को नपुंसक ग्रह माना गया है। माना जाता है कि किन्नरों पर बुध का विशेष प्रभाव होता है। इसीलिए किन्नरों को दान देने से बुध प्रसन्न होते हैं।
इसीलिए बुध यानी व्यापार और कार्यक्षेत्र के कारक ग्रह को बलवान बनाने के लिए और सफलता प्राप्त करने के लिए किन्नरों को पैसों के साथ ही पूजा सुपारी का दान देना चाहिए क्योंकि पूजा सुपारी को शास्त्रों के अनुसार गणपतिजी का रूप माना जाता है। इसीलिए किसी भी पूजन के शुरूआत में गौरी व गणेश का आवाह्न पूजा सुपारी पर किया जाता है। बुध को धन, बुद्धि तर्क व कर्म का कारक ग्रह माना गया है। ऐसी मान्यता है कि बुध से संबंधित दान करने से संचित कर्मों का नाश होता है और अगले जन्म में किन्नर के रूप में जन्म नहीं लेना पड़ता है। इसीलिए किन्नरों को पैसों के साथ ही सुपारी के दान करने को विशेष महत्व दिया गया है।
Varinder Kumar
ASTROLOGER
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