कहते हैं यदि किसी व्यक्ति का वैवाहिक जीवन सुखी हो तो उसका पूरा जीवन अपने आप सुखी हो जाता है। वास्तु के अनुसार यदि बेडरूम सही दिशा में नहीं हो तो पति-पत्नी में झगड़े होते हैं। पूर्व दिशा में बेडरूम शुभ नहीं माना जाता है। इस दिशा में बेडरूम बना हुआ हैं तो उसे अविवाहित बच्चों के लिए प्रयोग में ला सकते हैं। नवविवाहित विवाहित दम्पत्ति के लिए यह दिशा वर्जित हैं।
दरअसल वास्तु के अनुसार पूर्व दिशा इन्द्र की होती हैं और ग्रहों में सूर्य-ग्रह की दिशा होती हैं। बुजुर्गों एवं अविवाहित बच्चों के लिए बेडरूम के लिए प्रयोग में लाया जा सकता हैं। उत्तर-पूर्व दिशा में बेडरूम का निर्माण न करें तो श्रेष्ठ रहेगा। यह दिशा ग्रहों में गुरू की दिशा मानी जाती है जो कि पूजा कक्ष या बच्चों के अध्ययन कक्ष के रूप में उपयोग में ला सकते हैं।
लुधियाना के ज्योतिषाचार्य Varinder Kumar JI के अनुसार
शादीशुदा इस कक्ष में शयन करेंगे तो कन्या संतान अधिक होने की सम्भावना बनी रहती हैं। दक्षिण-पश्चिम दिशा का कक्ष शयन के लिए सबसे अच्छा माना जाता हैं। गृहस्वामी के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। नैऋत्य कोण पृथ्वी तत्व हैं अर्थात स्थिरता का प्रतीक हैं। अत: इस कक्ष में गृहस्वामी का शयन कक्ष होने पर वह निरोगी एवं भवन में दीर्घकाल तक निवास करता हैं। दक्षिण दिशा में शयन कक्ष गृहस्वामी के लिए उपयुक्त माना गया हैं। गृहस्वामी के अतिरिक्त विवाहित दम्पत्तियों के लिए भी उपयुक्त कक्ष माना जाता हैं।
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