हिन्दू धर्म शास्त्रों के मुताबिक सूर्य पुत्र शनि का स्वभाव क्रूर व स्वरूप भयानक है। वहीं दूसरी ओर शनि के घोर तपस्वी रूप का भी शास्त्रों में वर्णन मिलता है। जिसके कारण शनिदेव को भगवान शिव से नवग्रहों में श्रेष्ठ स्थान और जगत के जीवों को दण्डित करने का अधिकार प्राप्त हुआ।
ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक कुण्डली में शनिदोष और दशा इंसान के जीवन में भारी उथल-पुथल मचा सकती है। जिसके चलते उसे शारीरिक, मानसिक व आर्थिक पीड़ा का सामना करना पड़ता है। किंतु शनि से जुड़ा सकारात्मक पक्ष यही है कि शनि के कुण्डली में अच्छे योग इंसान को भरपूर खुशियां भी देते हैं।
शनि जब मेहरबान होते हैं तो यश, सम्मान, पद, धन लाभ से व्यक्ति अपार सुख पाता है। अगर आप भी ऐसे ही खुशहाल जीवन की कामना रखते हैं तो शनि दशा या दोष के कारण पैदा अनिष्ट से रक्षा के लिये यहां बताए जा रहे शनि के वैदिक मंत्र का जप शनिवार को नीचे बताई शनि पूजा की सरल विधि के साथ जरूर करें -
- शनिवार के दिन सुबह स्नान कर शनि मंदिर में जाकर भगवान शनि देव की पारंपरिक पूजा सामग्रियों से पूजा करें।
- यह पूजा सामग्रियां है - गंध, अक्षत, फूल, काले तिल, तेल, काले वस्त्र, काली उड़द की दाल, तेल से बनी मिठाईयों का नैवेद्य ।
- पूजा सामग्रियों को चढ़ाने के बाद इस नीचे लिखे वैदिक मंत्र का यथाशक्ति मंगल कामना के साथ स्मरण करें -
ॐ शन्नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।
शंयोरभिस्त्रवन्तुन:। ॐ शनैश्चराय नम:।
- यथासंभव इस मंत्र को रुद्राक्ष के दानों की माला से 108 बार यानी 1 माला या कम से कम 11 बार जप करना अपार शनि कृपा देने वाला माना गया है।
- मंत्र जप व पूजा के बाद शनि की आरती कर तेल के बने पकवानों का प्रसाद जरूर ग्रहण करें।
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