विवाह या शादी को वर-वधु दोनों के लिए
दूसरा जन्म माना जाता है। शादी के बाद न केवल उन दोनों का जीवन बदलता है
बल्कि दोनों के परिवारों पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। कुछ
परिस्थितियों में विवाह के बाद पति-पत्नी दोनों के जीवन में कई प्रकार की
परेशानियां प्रारंभ हो जाती हैं। इस संबंध में ज्योतिष के अनुसार यदि लड़के
या लड़की की कुंडली में कोई ग्रह दोष हो तो उनके विवाहित जीवन पर बुरा
प्रभाव पड़ता है।
शादी के बाद आने वाली परेशानियों से बचने के लिए लड़के या लड़की की कुंडली में यदि कोई ग्रह दोष हो तो उसका उचित उपचार किया जाना चाहिए। जन्मपत्रिका में कुछ विशेष योग होते हैं तब उनका ज्योतिषीय उपचार करना अतिआवश्यक होता है अन्यथा वर-वधु दोनों को ही गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
सामान्यत: किसी मांगलिक लड़के का विवाह मांगलिक लड़की से ही होना चाहिए। यदि वर या वधु दोनों में से कोई एक मांगलिक है तो विवाह के बाद इन्हें कई प्रकार की गंभीर परेशानियां झेलना पड़ सकती हैं। ऐसे में इस प्रकार के विवाह नहीं होना चाहिए लेकिन यदि ऐसा विवाह करना ही हो तो ज्योतिष में कुछ उपाय बताए गए हैं।
यदि वर या वधु कोई एक मांगलिक हैं तो लड़की का विवाह पहले भगवान विष्णु से किया जाना चाहिए। विधि-विधान से जब कन्या का विवाह भगवान श्रीहरि से हो जाता है तब उसकी जन्मपत्रिका के कई गंभीर ग्रह दोष समाप्त हो जाते हैं। इसके बाद उस लड़की का दूसरा विवाह अन्य वर के साथ किया जा सकता है। इससे वर-वधु दोनों का जीवन सुखी और संपन्न होगा।
यदि किसी कन्या की कुंडली में विधवा योग हो तब भी इसप्रकार भगवान विष्णु से पहले विवाह कराना चाहिए। इसके अलावा यदि किसी की कुंडली में शत्रु राशि का मंगल सप्तम स्थान में हो, सप्तम या अष्टम भाव में नीच का सूर्य हो, सप्तम में सूर्य-चंद्र की युति हो, सप्तम स्थान में नीच का बुध हो, सप्तम भाव में नीच का गुरु हो तो लड़की की शादी पहले भगवान श्रीहरि से कराई जाती है। ज्योतिष के अनुसार कुंडली में सप्तम भाव विवाह या शादी का कारक भाव है। अत: इस भाव के दूषित होने पर उचित उपचार भी किया जाना चाहिए।
शादी के बाद आने वाली परेशानियों से बचने के लिए लड़के या लड़की की कुंडली में यदि कोई ग्रह दोष हो तो उसका उचित उपचार किया जाना चाहिए। जन्मपत्रिका में कुछ विशेष योग होते हैं तब उनका ज्योतिषीय उपचार करना अतिआवश्यक होता है अन्यथा वर-वधु दोनों को ही गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
सामान्यत: किसी मांगलिक लड़के का विवाह मांगलिक लड़की से ही होना चाहिए। यदि वर या वधु दोनों में से कोई एक मांगलिक है तो विवाह के बाद इन्हें कई प्रकार की गंभीर परेशानियां झेलना पड़ सकती हैं। ऐसे में इस प्रकार के विवाह नहीं होना चाहिए लेकिन यदि ऐसा विवाह करना ही हो तो ज्योतिष में कुछ उपाय बताए गए हैं।
यदि वर या वधु कोई एक मांगलिक हैं तो लड़की का विवाह पहले भगवान विष्णु से किया जाना चाहिए। विधि-विधान से जब कन्या का विवाह भगवान श्रीहरि से हो जाता है तब उसकी जन्मपत्रिका के कई गंभीर ग्रह दोष समाप्त हो जाते हैं। इसके बाद उस लड़की का दूसरा विवाह अन्य वर के साथ किया जा सकता है। इससे वर-वधु दोनों का जीवन सुखी और संपन्न होगा।
यदि किसी कन्या की कुंडली में विधवा योग हो तब भी इसप्रकार भगवान विष्णु से पहले विवाह कराना चाहिए। इसके अलावा यदि किसी की कुंडली में शत्रु राशि का मंगल सप्तम स्थान में हो, सप्तम या अष्टम भाव में नीच का सूर्य हो, सप्तम में सूर्य-चंद्र की युति हो, सप्तम स्थान में नीच का बुध हो, सप्तम भाव में नीच का गुरु हो तो लड़की की शादी पहले भगवान श्रीहरि से कराई जाती है। ज्योतिष के अनुसार कुंडली में सप्तम भाव विवाह या शादी का कारक भाव है। अत: इस भाव के दूषित होने पर उचित उपचार भी किया जाना चाहिए।
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