ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि सबसे
शक्तिशाली ग्रह है। शनि की स्थिति किसी भी व्यक्ति की श्रेष्ठ कुंडली को भी
बदल सकती है। शनि यदि शुभ हो तो व्यक्ति को सभी सुख प्रदान करता है। इसके
विपरित अशुभ शनि होने पर व्यक्ति को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता
है।
शनि अशुभ होने पर कई बुरे प्रभाव देता है। इन बुरे प्रभावों में शारीरिक बीमारियां भी शामिल हैं। यदि किसी जवान व्यक्ति को जोड़ों का दर्द सताने लगे तो संभव है कि उसकी कुंडली में शनि का कोई दोष प्रारंभ हो गया है। ऐसे में शनि को प्रसन्न करने के उपाय अवश्य करना चाहिए।
सामान्यत: जोड़े में दर्द बुढ़ापे की समस्या है लेकिन यह बीमारी कम उम्र में ही जब पैर पसार लें तो समस्या गंभीर हो जाती है। इससे निजात पाने के लिए दवाइयों का सहारा तो लिया जा सकता है साथ ही खान-पान और दिनचर्या को संतुलित करने की भी आवश्यकता होती है। इसके अलावा नियमित रूप से योगा भी इस बीमारी को दूर रखता है।
ज्योतिष के अनुसार हमारे शरीर के विभिन्न अंगों के कारक ग्रह बताए गए हैं। जिस ग्रह से संबंधित जो अंग रहते हैं उनमें किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी परेशानी उत्पन्न हो तो समझ लेना चाहिए कि संबंधित ग्रह का दोष शुरू हो गया है। हमारे जोड़ों के संबंध में शनि देव कारक ग्रह हैं। अत: शनि के अशुभ होने पर व्यक्ति को जोड़ों के दर्द की समस्या होने लगती है। जिन लोगों के साथ इस प्रकार होता है उन्हें शनि के निमित्त शनिवार को तेल का दान करना चाहिए और शरीर पर तेल मालिश करना चाहिए।
शनि अशुभ होने पर कई बुरे प्रभाव देता है। इन बुरे प्रभावों में शारीरिक बीमारियां भी शामिल हैं। यदि किसी जवान व्यक्ति को जोड़ों का दर्द सताने लगे तो संभव है कि उसकी कुंडली में शनि का कोई दोष प्रारंभ हो गया है। ऐसे में शनि को प्रसन्न करने के उपाय अवश्य करना चाहिए।
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