श्री हनुमान महायोगी और साधक भी हैं।
श्री हनुमान के चरित्र के ये गुण संकल्प, एकाग्रता, ध्यान व साधना के
सूत्रों से जीवन के लक्ष्यों को पूरा करने की प्रेरणा देते हैं। इस संदेश
के साथ कि अगर तन, मन और कर्म को दृढ संकल्प, नियम और अनुशासन से साध लिया
जाए तो फिर कोई भी बड़ा या कठिन लक्ष्य पाना बेहद आसान हो जाता है।
नई उमंग, उत्साह, ऊर्जा व आशाओं के साथ आने वाला नववर्ष भी बीते वर्ष की असफलता, निराशा को पीछे धकेल नए लक्ष्यों और सफलता की ओर बढऩे की प्रेरणा देता है। सालभर ऐसे ही लक्ष्यों को भेदने के लिये अगर शास्त्रों में बताए श्री हनुमान चरित्र के अलग-अलग 12 स्वरूपों का ध्यान एक खास मंत्र स्तुति से किया जाए तो साल के 12 महीने बहुत ही शुभ व मंगलकारी साबित हो सकते हैं।
जानते हैं धर्मग्रंथों में बताई यह खास हनुमान मंत्र स्तुति। जिसे मंगलवार, शनिवार या हनुमान उपासना के खास अवसरों के अलावा हर रोज सुबह या रात को सोने से पहले स्मरण करना न चूकें -
हनुमानञ्जनी सूनुर्वायुपुत्रो महाबल:।
रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिङ्गाक्षोमितविक्रम:।।
उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशन:।
लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।
एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:।
स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।।
तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।।
इस खास मंत्र स्तुति में श्री हनुमान के 12 नाम उनके गुण व शक्तियों को भी उजागर करते हैं । ये नाम है - हनुमान, अञ्जनी सूनु, वायुपुत्र, महाबल, रामेष्ट यानी श्रीराम के प्यारे, फाल्गुनसख यानी अर्जुन के साथी, पिंङ्गाक्ष यानी भूरे नयन वाले, अमित विक्रम, उदधिक्रमण यानी समुद्र पार करने वाले, सीताशोकविनाशक, लक्ष्मणप्राणदाता और दशग्रीवदर्पहा यानी रावण के दंभ को चूर करने वाले।
नई उमंग, उत्साह, ऊर्जा व आशाओं के साथ आने वाला नववर्ष भी बीते वर्ष की असफलता, निराशा को पीछे धकेल नए लक्ष्यों और सफलता की ओर बढऩे की प्रेरणा देता है। सालभर ऐसे ही लक्ष्यों को भेदने के लिये अगर शास्त्रों में बताए श्री हनुमान चरित्र के अलग-अलग 12 स्वरूपों का ध्यान एक खास मंत्र स्तुति से किया जाए तो साल के 12 महीने बहुत ही शुभ व मंगलकारी साबित हो सकते हैं।
जानते हैं धर्मग्रंथों में बताई यह खास हनुमान मंत्र स्तुति। जिसे मंगलवार, शनिवार या हनुमान उपासना के खास अवसरों के अलावा हर रोज सुबह या रात को सोने से पहले स्मरण करना न चूकें -
हनुमानञ्जनी सूनुर्वायुपुत्रो महाबल:।
रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिङ्गाक्षोमितविक्रम:।।
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