पवनपुत्र, वीर हनुमान, केसरीनंदन, अंजनिपुत्र, बजअंग बली.......और भी जाने कितने ही नामों से भक्त इन प्रिय भगवान को याद करते हैं। हम इंसानों की भाषा की भी अपनी सीमा होती है, इसलिये हर बात को शब्दों में अभिव्यक्त नहीं किया जा सकता। बात अगर किसी भगवान या देवता की हो, तो कुछ कह पाना और भी ज्यादा मुश्किल हो जाता है।
अवसर है-हनुमान जयंती का। 18 अप्रैल को हनुमान जयंती का शुभ अवसर है। ऐसे में यह बड़ा ही कीमती मौका हो सकता है। इस अवसर पर हम हनुमानजी के व्यक्तित्व से बहुत कुछ सीख सकते हैं। जीवन में श्री, शक्ति और समृद्धि एक साथ कैसे पाई जा सकती है, यह जानने के लिये वीर हनुमान के चरित्र से बेहतर कोई दूसरा चरित्र नहीं होगा।
बजरंगबली की इतनी सफलताओं और शक्तियों का सारा रहस्य तीन कार्यों में छुपा हुआ है। योग, भक्ति और ब्रह्मचर्य ने ही हनुमान को एक वानर सेनापति से भगवान के उच्च स्तर तक पहुंचा दिया। हनुमान जी ने ध्यान, भक्ति और ब्रह्मचर्य के बल पर ही वो सब कुछ प्राप्त किया, जिसे पाकर किसी को भगवान का दर्जा मिल जाता है। आठो सिद्धियां- अणिमा, गरिमा, महिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकम्य, वशित्व और शिवत्व, उन्हें इन तीन कार्यों के करने से ही प्राप्त हुईं।
Varinder Kumar
ASTROLOGER
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