कालसर्प दोष का नाम सुनते ही मन में भय उत्पन्न हो जाता है। आमतौर पर माना जाता है कि कालसर्प दोष जीवन में बहुत दु:ख देता है और असफलता का कारण भी होता है। लेकिन कई बार कुंडली में विशेष योगों के चलते यह शुभाशुभ फल भी प्रदान करता है।
राहु को कालसर्प का मुख माना गया है। यदि राहु के साथ कोई भी ग्रह उसी राशि और नक्षत्र में शामिल है, तो वह ग्रह कालसर्प योग के मुख में स्थित माना जाता है।
यदि जातक की कुंडली में सूर्य कालसर्प के मुख में स्थित है अर्थात राहु के साथ स्थित हो तथा 1, 2, 3, 10 अथवा 12 वें स्थान में हो एवं शुभ राशि और शुभ प्रभाव में हो तो प्रतिष्ठा दिलवाता है। जातक का स्वास्थ्य उत्तम रहता है। वह राजनीतिक और सामाजिक कार्यों में प्रसिद्धि प्राप्त करता है।
यदि जातक की कुंडली में कालसर्प के मुख में चंद्रमा शुभ स्थिति और प्रभाव में हो तो जातक को परिपक्व और उच्च विचारधारा वाला बनाता है।
यदि जातक की कुंडली में मंगल कालसर्प के मुख में स्थित हो तो इसकी शुभ एवं बली स्थिति जातक को पराक्रमी और साहसी तथा व्यवहार कुशल बनाती है। वह हमेशा कामयाब होता है।
बुध यदि कालसर्प के मुख में स्थित हो तथा शुभ स्थिति और प्रभाव में हो तो ऐसे जातक को उच्च शिक्षा मिलती है तथा वह बहुत उन्नति भी करता है।
राहु के साथ गुरु की युति गुरु-चांडाल योग बनाती है। ज्योतिष में इसे अशुभ माना जाता है। लेकिन अगर यह योग शुभ स्थिति और शुभ प्रभाव में हो तो जातक को अच्छी प्रगति मिलती है।
कालसर्प के मुख में स्थित शुक्र शुभ स्थिति और प्रभाव में होने पर पूर्ण स्त्री सुख प्रदान करता है। दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है।
यदि कालसर्प के मुख में शनि शुभ स्थिति हो तो जातक को परिपक्व और तीक्ष्ण बुद्धि वाला होता है।
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