हर राशि का अपना रत्न होता है और कुंडली में राशि के स्वामी की शुभ अशुभ स्थिति का विचार करके रत्नों को पहनना चाहिए। रत्न को अँगूठी या लॉकेट में पहनना चाहिए। रत्नों को पहनते समय यह सावधानि रखें कि यह शरीर से सटा हुआ रहें। इससे रत्नों का प्रभाव दोगुना हो जाता है्र।
माणिक- यह सूर्य का रत्न है। यदि आपकी कुंडली में सूर्य अशुभ प्रभाव दे रहा है तो इसे रविवार के दिन सूर्योदय के समय अनामिका यानि रिंग फिंगर में तांबे या सोने की अंगुठी या लॉकेट में पहनना चाहिए।
मोती- कुंडली में चंद्रमा को शुभ बनाने के लिए मोती पहनना चाहिए। यह चंद्रमा का रत्न है। इसे सोमवार के दिन कनिष्ठा अंगुलि में यानि लिटिल फिंगर में चंादी की अंगुठी या लॉकेट में पहनना चाहिए।
पन्ना- बुध के शुभ प्रभाव के लिए पन्ना सोने की अंगुठी में बुधवार के दिन पहना जाता है। यह कनिष्ठा अंगुलि में यानि लिटिल फिंगर में पहने तो ज्यादा प्रभावशाली होता है।
पुखराज- गुरु को प्रसन्न करने के लिए गुरुवार के दिन इस रत्न को गोल्ड रिंग में तर्जनी अंगुलि यानि इंडेक्स फिंगर में पहनना चाहिए।
मूँगा- यह मंगल का रत्न है। मंगल देव के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए इस रत्न को अनामिका यानि रिंग फिंगर में तांबे या सोने की अंगुठी या लॉकेट के साथं पहना जाता है।
हीरा- कुंडली में शुक्र देव के शुभ प्रभाव प्राप्त करने के लिए शुक्र देव का रत्न अनामिका यानि रिंग फिंगर में चांदी की अंगुठी या लॉकेट के साथ पहनें।
नीलम- शनि का रत्न होता है। शनि देव को प्रसन्न करने के लिए मध्यमा अंगुली में यानि मिडील फिंगर में चांदी की अंगुठी या लॉकेट के साथ पहनना चाहिए। शनिवार के दिन पहनें तो विशेष लाभ प्राप्त होता है।
राहू-केतु के रत्न न पहन कर आप लाल किताब के अनुसार टोटके कर के शुभ प्रभाव प्राप्त कर सकते हैं।
Varinder Kumar
ASTROLOGER
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