दान, धर्म पालन का अहम अंग माना गया है। असल में दान अहंकार भाव को दूर रख इंसान को सरल और सहज बनाए रखता है। इसलिए हिन्दू धर्म शास्त्रों में धार्मिक और व्यावहारिक नजरिए से दान का बहुत महत्व बताया गया है और देव उपासना की परंपराओं में भी दान के लिए कुछ विशेष घडिय़ां बहुत ही पुण्यदायी मानी गई है।
ऐसी ही शुभ घड़ी है अक्षय तृतीया। यह तिथि दान प्रधान है। इस दिन किये गये दान-पुण्य का फल अक्षय माना जाता है। यही कारण है कि शास्त्रों में घर-परिवार में सुख और शांति के लिए इस दिन यथाशक्ति विशेष वस्तुओं का दान फलदायी माना गया है। आप भी नीचे बताई वस्तुओं का यथाशक्ति दान कर पुण्य कमा सकते हैं -
- जल से भरा मिट्टी का घड़ा, कलश
- कलश के साथ ककड़ी या खरबूजा
- पंखा, चरण पादुका
- छाता
- सोने के बर्तन
- अनाज
- जौ, गेंहू
- चने का सत्तू
- दही-चावल
- गाय
- भूमि
- गर्मी के मौसम में उपयोगी पदार्थ और वस्तुएं
- मौसमी फलों
- गन्ने का रस
- दूध से बनी मिठाईयां
- पितरों को पिंडदान
- जल दान
इस प्रकार इस पुण्य तिथि को पूर्ण आस्था और हृदय से किया गया दान अक्षय होता है।
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