पूजा घर प्राचीन समय में घर के भीतर नहीं बनाया जाता था क्योंकि वास्तु के अनुसार इसे उचित नहीं माना जाता था लेकिन वर्तमान में घर के अंदर ही पूजा घर बनाया जाता है। इसीलिए पूजा घर में मूर्तिया रखते समय कुछ वास्तु नियमों का ध्यान अनिवार्य रूप से रखना चाहिए क्योंकि पूजास्थल के वास्तु का ध्यान रखने से घर की सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है। घर की सुख व समृद्धि बढ़ती है। साथ ही घर में क्लेश नहीं होता है।
कैसे रखें मूर्तियां:
वास्तु के अनुसार कम वजन की तस्वीरें और मूर्तियाँ ही पूजाघर में रखनी चाहिए। इनकी दिशा पूर्व, पश्चिम, उत्तर मुखी हो सकती है, लेकिन दक्षिण मुखी कभी नहीं। भगवान का चेहरा किसी भी वस्तु से ढँका नहीं होना चाहिए, फूल और माला से भी नहीं। इन्हें दीवार से एक इंच दूर रखना चाहिए, एक-दूसरे के सम्मुख नहीं। इनके साथ अपने पूर्वजों की तस्वीर नहीं रखनी चाहिए। खंडित मूर्तियाँ पूजाघर के अंदर कभी नहीं रखना चाहिए। अगर कोई मूर्ति खंडित हो जाए तो उसे तुरंत प्रवाहित कर देना चाहिए।
घर के मंदिर में शास्त्रों के अनुसार बताई गई भगवान की मूर्तियां ही रखें। घर में श्रीगणेश की 3, माताजी की 3 प्रतिमाएं और सूर्य की दो प्रतिमाएं और 2 शंख नहीं होना चाहिए। मंदिर में दो शिवलिंग नहीं होना चाहिए तथा शिवलिंग अंगूठे के आकार का होना चाहिए। साथ ही पूजा स्थल की नियमित रूप से सफाई की जानी चाहिए। साथ ही प्रतिदिन विधि-विधान से पूजन-अर्चन भी करना चाहिए। सुंगधित अगरबत्ती लगाने से घर का वातावरण भी पवित्र होता है और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
Varinder Kumar
ASTROLOGER
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