Tuesday, May 31, 2011

तिल के तेल के दीप से शनि आरती बनाए किस्मत का धनी



मेहनत और ईमानदारी से कोशिशें करने पर भी जब बार-बार लक्ष्य पाने से चूक जाएं तो अंतत: कर्म में विश्वास रखने वाले इंसान के मन-मस्तिष्क में भी कहीं न कहीं किस्मत खराब होने का विचार जरूर आता है। तब धर्म से जुड़ा व्यक्ति धार्मिक उपायों से भाग्य बाधा को दूर करने की कामना और कोशिश करता है।

अगर आप भी कर्मचारी, विद्यार्थी या काराबोरी हैं और परिश्रम के अनुकूल नतीजे नहीं मिले रहें है तो शनि जयंती (1 जून) की शुभ घड़ी में यहां बताया जा रहा है शनि उपासना का ऐसा सरल उपाय जो तकदीर खोलने और सुख-सफलता लाने वाला है।

शनि जयंती शनिदेव की उपासना से दु:ख और कष्टों से छुटकारा देने वाली मानी गई है। चूंकि भगवान शनि भाग्य विधाता भी है। शनि कृपा से कोई भी इंसान किस्मत का धनी बन सकता है और विपरीत हालात में भी असंभव लगने वाली सफलता संभव हो जाती है।

इसलिए इस विशेष दिन शनि की आरती में यहां बताया जा रहा एक उपाय सौभाग्य, यश और मनचाही कामयाबी सुनिश्चित करेगा -

- शनि जयंती के सुबह स्नान कर शनि मंदिर या नवग्रह मंदिर में भगवान शनि को पूजा में गंध, अक्षत, फूल, काला वस्त्र, काली उड़द चढ़ाएं।

- तेल से बनी मिठाईयों का भोग लगाएं। शनि मंत्र ॐ शं शनैश्चराय नम: इस मंत्र का जप करें।

- पूजा और मंत्र जप के बाद शनि की आरती में एक विशेष उपाय करें। वह यह कि तिल के तेल का दीपक जलाकर शनि की नीचे लिखी आरती करें -

जय-जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।

सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी ।। जय-जय ।।

श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी ।

नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी ।। जय-जय ।।

क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी ।

मुक्तन की माला गले शोभित बलिहार ।। जय-जय ।।

मोदक मिष्ठान पान चढ़त है सुपारी ।

लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी ।। जय-जय ।।

देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी ।

विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी ।। जय-जय ।।

- आरती के बाद इस दीपक को घर के हर कोने में घुमाएं। यह उपाय रोग, दरिद्रता और दु:खों का नाश करने वाला भी माना गया है। आरती के बाद शनिदेव से क्षमा प्रार्थना कर सफलता पाने और भाग्य बाधा को दूर करने की कामना करें।




Varinder Kumar
ASTROLOGER
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