हम दिनभर में असंख्य लोगों को देखते है, कई लोगों से मुलाकात भी होती है। सभी के चेहरे का रंग अलग-अलग होता है। सामान्यत: चेहरे के रंगों को तीन भागों बांटा जा सकता है। पहला है गौरा रंग, दूसरा काला रंग और तीसरा रंग है सांवला रंग। सांवला रंग जिस व्यक्ति का होता है वह ना तो गौरा कहा जा सकता है और ना ही काला। यह गेहूं के रंग की तरह होता है। इसीलिए इसे गेहूंआ रंग भी कहते हैं।
लुधियाना के ज्योतिषाचार्य Varinder Kumar JI के अनुसार शरीर के रंग के आधार पर किसी भी व्यक्ति का स्वभाव, लक्षण आदि मालुम किए जा सकते हैं। हमारे आसपास सांवले रंग के लोग सबसे अधिक दिखाई देते हैं। इस रंग को काले रंग से युक्त कहा जाता है क्योंकि यह एकदम गहरा काला रंग न होकर सफेद एवं लाल रंग से मिश्रित काला होता है। सांवले रंग के दो भेद होते हैं एक वह जो गौर वर्ण के अधिक निकट और दूसरा काले रंग के अधिक पास होता है। इसे गेहुंआ रंग भी कहा जाता है। पहले सांवले रंग वाले इंसान में रजोगुण प्रधानता के साथ तमोगुण की हल्की सी प्रवृत्ति होती है। ऐसे जातक अस्थिर, परिश्रमी और कभी सुस्त, सामान्य बुद्धि वाले, सामान्य समृद्ध तथा सामान्य अध्ययन-मनन एवं चिंतनप्रिय तथा प्राय: उच्च मध्यम वर्ग के होते हैं।
इसके विपरीत द्वितीय वर्ण वालों में उपरोक्त गुणों में कुछ कमी आ जाती है। अत: उस वर्ग को निम्न मध्यम वर्ग में रखा जाता है। इस वर्ण का प्रभाव स्त्रियों पर भी उसी प्रकार का होता है। फिर भी विशेष स्थिति में वे गृहस्थी के उतार-चढ़ाव में निंरतर संघर्षरत, धैर्यसम्पन्न, सहनशील, उदार, चंचल, भोगी एवं विश्वस्त होती है
Jyotishachary Varinder Kumar JI
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