Wednesday, November 2, 2011

कल इस मंत्र से करें आंवले की परिक्रमा..मिलेगा भरपूर वैभव व यश



रोम-रोम में ईश्वर की मौजूदगी मानने वाले सनातन धर्म में प्रकृति की हर रचना पूजनीय है। इसी कड़ी में अनेक पेड़-पौधे देव वृक्ष माने गए हैं। जिनमें तुलसी, वट, पीपल की भांति ही आंवले का पौधा भी पूजनीय और मंगलकारी माना गया है। जिसके लिए कार्तिक शुक्ल नवमी का दिन नियत है, जो आंवला नवमी (4 अक्टूबर) के रूप में भी प्रसिद्ध है।

आंवला नवमी या कूष्माण्ड नवमी पर आवंले के वृक्ष की पूजा में विशेष उपाय देवी कृपा से धन, वैभव और अक्षय सुख देने के साथ पापों का नाश करने वाले माने गए हैं। इन सरल उपायों में धात्री यानी आंवले वृक्ष की परिक्रमा विशेष मंत्रो के साथ करना कामनासिद्धि करने वाला माना गया है।

जानते हैं आंवला पूजन की आसान विधि और विशेष देवी व परिक्रमा मंत्र -

- आंवला नवमी पर स्नान के  बाद धात्री यानी आंवले के वृक्ष की पंचोपचार पूजा करें। जिसमें गंध, अक्षत, पुष्प, नैवेद्य के बाद उसकी जड़ में दूध अर्पित कर जगतजननी के स्वरूप देवी कूष्माण्डा के नीचे लिखे मंत्र का स्मरण करते हुए सूत वृक्ष के आस-पास लपेटें-

दुर्गतिनाशिन त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्।

जयंदा धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्।।

- इसके बाद घी या कर्पूर दीप जलाकर नीचे लिखे मंत्र से वृक्ष की परिक्रमा व आरती यश व सुख की कामना से करें -

यानि कानि च पापानि जन्मातरकृतानि च।

तानि तानि प्रणश्यन्ति प्रदक्षिण पदे पदे।।

- पूजा, आरती व प्रदक्षिणा के बाद यथाशक्ति कूष्माण्ड यानी कुम्हड़े में धन रखकर ब्राहृमणों को दान करना समृद्धि की कामना पूरी करता है।


any body who will try to steal or miss use or blog will be dealt severly acording to law

Jyotishachary Varinder Kumar JI 
Shop No 74 New
Shopping Center Ghumar Mandi
Ludhiana Punjab India

01614656864
09915081311,09872493627

email: sun_astro37@yahoo.com,sun.astro37@gmail.com
wwwsunastrocom.blogspot.com
http://www.sunastro.com/
http://www.facebook.com/profile.php?id=100000371678

 

No comments:

Post a Comment