Sunday, December 25, 2011

जानें, कैसे और किस मंत्र से दें सूर्य को अर्घ्य?


सांसारिक जीवन में सेहत, पैसा, सफलता, पद-प्रतिष्ठा या यश ऐसी इच्छाए हैं, जिनका एक-दूसरे से गहरा संबंध है। पैसे के अभाव में अच्छी सेहत बिगड़ जाती है, वहीं सेहत व पैसा के बिना सफलता मुश्किल हो जाती है। इसी तरह पद व यश के बिना सफलता सार्थक नहीं लगती है।

हिन्दू धर्मशास्त्रों के मुताबिक सूर्य पूजा इन सभी कामनाओं को पूरा करने वाली होती है। व्यावहारिक रूप से भी सूर्य प्रतिदिन ऊर्जा ही नहीं बल्कि कर्म से संपन्न बनने की प्रेरणा भी देते हैं। यही कारण है कि सूर्य साक्षात देव के रूप में पूजनीय हैं।

शास्त्रों में सूर्य पूजा की शुरुआत सुबह सूर्य अर्घ्य के साथ किए जाने का महत्व बताया गया है। यही नहीं, सूर्य अर्घ्य से सुख-सफलता की कामना शीघ्र पूरी करने के लिये विशेष सामग्रियों व मंत्र असरदार माने गए हैं। जानते हैं विशेष

- रविवार को सूर्योदय से पहले जागकर सुबह तीर्थ या तीर्थ जल से स्नान के बाद सफेद वस्त्र पहनें। मौन रहे व मन में पवित्र विचार रखें।

- तांबे के कलश में कुंकु म, लाल चंदन, लाल फूल डालकर सूर्य का हृदय में ध्यान करते हुए ऊँ खखोल्काय नम: बोलकर उदय होते सूर्य का आवाहन करें व नीचे लिखे मंत्र से अर्घ्य दें -

एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।

अनुकम्पां हि मे कृत्वा गृहाणार्घ्य दिवाकर

- अर्घ्य के बाद नीचे लिखे मंत्र से सूर्य प्रार्थना करें -

अर्चितस्त्वं यथाशक्त या मया भक्तया विभावसो।

ऐहिकामष्मिकीं नाथ कार्यसिद्धिं ददस्व मे।

- बाद लाल आसन पर बैठ सिर ढंककर सूर्य देव की लाल पूजा सामग्रियों से  पूजा व आरती करें। सूर्य मंदिर या नवग्रह मंदिर में घुटने पर बैठ इन मंत्रों से सूर्य अर्घ्य दे सकते हैं।

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