वास्तु शास्त्र के अंतर्गत प्रत्येक
दिशा व कोण का एक स्वामी होता है। उसी के अनुसार उस दिशा अथवा कोण का
उपयोग किया जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार र्ईशान कोण (उत्तर-पूर्व)
देवताओं का स्थान माना गया है इसलिए इस स्थान का उपयोग बहुत ही सोच-समझकर
करना चाहिए। ईशान कोण में निर्माण करवाते समय नीचे लिखी बातों का विशेष
ध्यान रखना चाहिए-
1- ईशान कोण में यदि कोई कबाड़ा रखा हो तो उसे वहां से हटा दें। क्योंकि यह देवताओं का स्थान है। अगर यहां कबाड़ा रखते हैं तो अनिष्ट होने का भय रहता है।
2- प्रत्येक लिविंग रूम में ईशान कोण में भारी या अधिक सामान हो तो उसे कम करते हुए कमरे के नैऋत्य में सामान बढ़ा सकते हैं। ईशान कोण को खाली अथवा हल्का रखें।
3- यदि पूजा स्थल गलत दिशा में हो तो उसे ईशान दिशा में किया जा सकता है। उत्तर या पूर्व में पूजा स्थल हो तो उसे स्थानांतरित करने की आवश्यकता नहीं है।
4- यदि ईशान में शौचालय हो तथा घर में और भी शौचालय हो तो ईशान वाले शौचालय को बंद करवा दें।
5- औद्योगिक इकाइयों जैसे- फैक्ट्री, कारखाना आदि का ईशान कोण भी साफ-सुथरा होना चाहिए।
1- ईशान कोण में यदि कोई कबाड़ा रखा हो तो उसे वहां से हटा दें। क्योंकि यह देवताओं का स्थान है। अगर यहां कबाड़ा रखते हैं तो अनिष्ट होने का भय रहता है।
2- प्रत्येक लिविंग रूम में ईशान कोण में भारी या अधिक सामान हो तो उसे कम करते हुए कमरे के नैऋत्य में सामान बढ़ा सकते हैं। ईशान कोण को खाली अथवा हल्का रखें।
3- यदि पूजा स्थल गलत दिशा में हो तो उसे ईशान दिशा में किया जा सकता है। उत्तर या पूर्व में पूजा स्थल हो तो उसे स्थानांतरित करने की आवश्यकता नहीं है।
4- यदि ईशान में शौचालय हो तथा घर में और भी शौचालय हो तो ईशान वाले शौचालय को बंद करवा दें।
5- औद्योगिक इकाइयों जैसे- फैक्ट्री, कारखाना आदि का ईशान कोण भी साफ-सुथरा होना चाहिए।
Jyotishachary Varinder Kumar JI
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