Thursday, May 19, 2011

गणेश चतुर्थी व्रत 20 को, संकटों से बचाता है यह व्रत


भगवान गणेश की स्तुति करने से हर बाधा दूर हो जाती है और बिगड़े काम भी बन जाते हैं, इसलिए भगवान गणेश को विघ्न विनाशक कहा जाता है। भगवान श्रीगणेश की कृपा पाने के लिए धर्म ग्रंथों में अनेक व्रतों का उल्लेख है। उसी के अनुसार प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चंद्रोदयव्यापिनी चतुर्थी को गणेश चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इस व्रत को करने से श्रीगणेश प्रसन्न होकर समस्त विघ्न और संकट दूर कर देते हैं। इस बार यह व्रत 20 मई, शुक्रवार को है। इस व्रत में श्रीगणेश का साथ चंद्रमा की पूजा का भी विधान है।

व्रत विधि

- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि नित्यकर्म से शीघ्र निवृत्त हों।

- शाम के समय अपने सामथ्र्य के अनुसार सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।

- संकल्प मंत्र के बाद श्रीगणेश की षोड़शोपचार पूजन-आरती करें। गणेशजी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं। गणेश मंत्र (ऊँ गं गणपतयै नम:) बोलते हुए 21 दुर्वा दल चढ़ाएं।

- गुड़ या बूंदी के 21 लड्डूओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डू मूर्ति के पास चढ़ाएं और 5 ब्राह्मण को दान कर दें। शेष लड्डू प्रसाद के रूप में बांट दें।

- पूजा में भगवान श्री गणेश स्त्रोत, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक स्त्रोत आदि का पाठ करें।

- चंद्रमा के उदय होने पर पंचोपचार पूजा करें व अध्र्य दें तत्पश्चात भोजन करें।  

व्रत का आस्था और श्रद्धा से पालन करने पर श्री गणेश की कृपा से मनोरथ पूरे होते हैं और जीवन में निरंतर सफलता प्राप्त होती है।


Varinder Kumar
ASTROLOGER
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